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अजन्मे कौ जन्म, ब्रज भयौ बैकुंठ

विनीत मिश्र मथुरा भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानि बुधवार की रात भले ही अंधेरी थ

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 11:43 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:08 AM (IST)
अजन्मे कौ जन्म, ब्रज भयौ बैकुंठ
अजन्मे कौ जन्म, ब्रज भयौ बैकुंठ

विनीत मिश्र, मथुरा: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानि बुधवार की रात भले ही अंधेरी थी, मगर श्रीकृष्ण जन्मस्थान की शोभा अलौकिक थी। त्रिलोक स्वामी के जन्मोत्सव पर ऐसी अनुपम शोभा अवर्णनीय थी। मानो बैकुंठ उतर आया हो। अजन्मे का अर्धरात्रि को प्राकट्य हुआ, धरा से आकाश तक 'जय कन्हैया लाल की' की गूंज होने लगी। ब्रज का कण-कण धन्य हो गया। इस बार का जन्मोत्सव कुछ मायनों में अलग रहा। गंगा-यमुना के साथ ही पहली बार सरयू के पवित्र जल से प्रभु का अभिषेक किया गया। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार जन्मस्थान पर श्रद्धालुओं का विहंगम समागम नहीं था। श्रद्धालुओं ने प्रभु के ऑनलाइन दर्शन कर खुद को धन्य किया। समूचे ब्रज में घर-घर आनंद छा गया।

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बुधवार को श्रीकृष्ण का ये 5247वां जन्मोत्सव था। सुबह से ही ब्रज में उल्लास और उमंग छाई थी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान में तो हर्ष अपरंपार था। सुबह से ही जन्मोत्सव के अनुष्ठान शुरू हो गए। मंगला आरती के बाद पुष्पाजंलि अर्पित की गई। शाम होते ही उत्सव अपने उल्लास की ओर बढ़ने लगा। रात गहराते ही मंदिर परिसर में पुष्प वर्षा की गई। सुंगधित द्रव्य का छिड़काव कराया गया। रात 11 बजे श्री गणेश जी, नवग्रह पूजन और पुष्प सहस्त्रार्चन के साथ ही लाला के जन्म की तैयारियां तेज हो गईं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास भी भागवत भवन पहुंच गए। आधी रात ठीक 12 बजे कान्हा के चलित विग्रह को मोरछल आसन पर भागवत भवन में लाया गया। रजत कमल पुष्प पर विराजमान ठाकुर जी का स्वर्ण मंडित रजत से निर्मित गाय ने दुग्धाभिषेक किया। पहली बार ठाकुर जी का अभिषेक अयोध्या से लाए गए सरयू जल से हुआ। इस दौरान जय कन्हैया लाल की जय, नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल की, के जयकारे गूंजते रहे। ठाकुर जी की श्रृंगार आरती और फिर रात एक बजे शयन आरती हुई। देहरी नमन कर लौट गए

कान्हा की इस लीला के जीवंत होते समय मंदिर प्रबंधन से जुड़े पदाधिकारी ही मौजूद रहे। सुबह से ही तमाम श्रद्धालु आए, मगर कोरोना संक्रमण को देखते हुए व्यवस्था के तहत उन्हें प्रवेश नहीं मिला। वे जन्मस्थान की देहरी को ही नमन कर लौट गए। श्रद्धालुओं ने किए ऑनलाइन दर्शन

हमेशा की तरह श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर होता रहा। अपने आराध्य की लीला देखने को श्रद्धालु सुबह ही टीवी से चिपके रहे। अर्धरात्रि ठाकुर के जन्मोत्सव के ऑनलाइन दर्शन किए। बिहारी जी की मंगला आरती

वृंदावन स्थित ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में साल में केवल एक बार ही होने वाली मंगला आरती तो हुई, मगर यहां भी श्रद्धालुओं के लिए दर्शन प्रतिबंधित थे।


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