माफ करना, घर जाने को साइकिल चोरी कर रहा हूं
जासं मथुरा ये बेबसी और बेचारगी ही है या कुछ और। उत्तर प्रदेश और राजस्थान सीमा से सटे गांव रारह के सहनावली में मिला एक पत्र सोशल मीडिया की सनसनी बन गया है। पत्र में एक मजदूर द्वारा घर तक जाने की मजबूरी में साइकिल चोरी करना लिखा है। साथ ही उसने घटना के लिए माफी भी मांगी है।
जासं, मथुरा : ये बेबसी और बेचारगी ही है या कुछ और। उत्तर प्रदेश और राजस्थान सीमा से सटे गांव रारह के सहनावली में मिला एक पत्र सोशल मीडिया की सनसनी बन गया है। पत्र में एक मजदूर द्वारा घर तक जाने की मजबूरी में साइकिल चोरी करना लिखा है। साथ ही उसने घटना के लिए माफी भी मांगी है।
सहनावली के साहब सिंह के बरामदे में खड़ी साइकिल सप्ताहभर पहले चोरी हो गई थी। इसके चार दिन बाद वहां एक पत्र मिला, पत्र बरेली के इकबाल द्वारा लिखा गया था, जिसमें घर तक जाने के लिए चोरी करने का हवाला दिया गया था। साहब सिंह ने पत्र की जानकारी गांव के लोगों को दी, तो वह सोशल मीडिया में वायरल होने लगा। गांव के लोगों में चर्चा है कि एक व्यक्ति अपने दिव्यांग बेटे के साथ इधर से गुजरा था। पूछताछ में उसने बताया था कि वह अजमेर से बरेली जा रहा है। उसी व्यक्ति पर साइकिल ले जाने का संदेह ग्रामीण जता रहे हैं। हालांकि साहब सिंह के बेटे कृष्ण प्रताप ने फोन पर बताया कि मेरा घर मुख्य मार्ग से करीब छह मीटर अंदर है। बरामदे में साइकिल के पास ही मोटर साइकिल भी खड़ी थी, लेकिन वह चोरी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि साइकिल चुराने के बाद किसी ने शरारत के रूप में ये चिट्ठी डाल दी हो। किसी के मजबूरी में भी साइकिल चोरी करने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। पत्र में लिखा है
नमस्ते जी। मैं आपकी साइकिल लेकर जा रहा हूं. हो सके, तो मुझे माफ कर देना जी, क्योंकि मेरे पास घर जाने का कोई साधन नहीं है। मेरा एक बच्चा है, उसके लिए मुझे ऐसा करना पड़ रहा है, क्योंकि वो दिव्यांग है, चल नहीं सकता, हमें बरेली तक जाना है। आपका कुसूरवार, एक यात्री, मजदूर व मजबूर।
-मो. इकबाल खान, बरेली।