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केवल एक शर्ट में कभी वृंदावन आए थे विनोद

महज 12 साल की उम्र में संत मुकुंद हरि महाराज से ली दीक्षा उन्होंने ही दी राधा नाम सुमरिन की सलाह, पकड़ाया हरमोनिया

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 11:29 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 11:29 PM (IST)
केवल एक शर्ट में कभी वृंदावन आए थे विनोद
केवल एक शर्ट में कभी वृंदावन आए थे विनोद

योगेश जादौन, मथुरा: मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है..गुनगुना कर रातोंरात लोगों की जुबान पर छाने वाले भजन सम्राट विनोद अग्रवाल का वृंदावन से विशेष अनुराग था। पिता के कारोबार में मन न रमने से कभी घर से निकल वृंदावन पहुंचने वाले श्री अग्रवाल महज 12 साल की उम्र में ही दीक्षा ले ली थी। गुरु ने राधा नाम सुमिरन की सलाह दी तो फिर जीवन भर राधा-कृष्ण के नाम के अलावा कुछ नहीं गाया।

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दिल्ली में कारोबारी परिवार में 6 जून 1955 को जन्मे श्रीअग्रवाल के माता-पिता मुंबई में बस गए। उनका परिवार मूलत: हरियाणा के यमुना नगर का रहने वाला था। उनके जन्म के बाद परिवार मुंबई चला गया। बीते साल दिसंबर में गोवर्धन परिक्रमा के समय वह राधाकुंड स्थित जनसुविधा केंद्र में रुके। तब उन्होंने अपने जीवन के बारे में बहुत कुछ कहा। बताया कि मुंबई में उनके परिवार का कपड़ों का बड़ा कारोबार है। उनका बचपन से ही कारोबार में मन नहीं लगता था। संगीत में उनकी शुरू से ही रुचि थी। घरवालों को उनका यह स्वभाव पसंद नहीं आया। एक दिन वह ऐसे ही माहौल में वृंदावन पहुंच गए। उस समय उनके शरीर पर महज एक शर्ट थी। यहां आते-आते ठंड बढ़ गई थी। तब वृंदावन में ही उन्हें शरण मिली। यहीं उन्होंने 12 साल की उम्र में रमणरेती मार्ग स्थित विद्यापीठ चौराहा के समीप हरिनिकुंज आश्रम के संत मुकुंद हरि महाराज से दीक्षा ली। मुकुंद हरि महाराज उस समय के संकीर्तन सम्राट कहे जाते थे। यहां उनकी रुचि मिली तो गुरु ने राधा नाम सुमिरन का मंत्र दिया। यहीं उन्होंने पहली बार हरमोनियम पर हाथ आजमाना शुरू किया। वर्ष 1989 से उन्होंने स्टेज शो करना शुरू कर दिया। इसी दरम्यान संस्कार चैनल के उद्घाटन अवसर पर पहली बार उन्होंने अपना सुप्रसिद्ध भजन फूलों में सज रहे हैं मेरे वृंदावन बिहारी.. गाया। उनका एक अन्य भजन मेरा आपकी कृपा से सारा काम हो रहा है..भी खूब प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने अपने जीवन में चार सैकड़ा से भी अधिक भजन गाए। देश-विदेश में 1500 से अधिक स्टेज कार्यक्रम किए। इसके बाद भी कृष्ण-राधा के अलावा कुछ नहीं गाया। कहा जाता है कि उन्होंने कभी किसी अन्य का लिखा भजन नहीं गाया।

इन भजनों ने दिलाई ख्याति

- मुझे मिला अनौखा यार ब्रज की गलियों मे..

- फृलों में सज रहे हैं वृंदा विपिन बिहारी..

- तू टेड़ों, तेरी टेड़ी रे नगरिया...

- मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा..

- मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा..

- जो तुम को भूल जाए वो दिल कहा से लाऊं..

इन भजनों के अलावा सैकड़ों भजन है जिन ऐसे है जिनको ब्रजवासियों सहित कृष्ण भक्त गुनगुनाते हैँ।

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