Move to Jagran APP

अपने दुख-दर्द भूल नंद के अनंत आनंद में डूबे ब्रजवासी, लाला की छीछी बनी मस्तक की शोभा

नंद भवन में थाली बजी और इधर भक्त व श्रद्धालु बधाई गाने लगे कुछ मगन हो नाचने लगे। जिसके पास जो था वह लुटाने लगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 11:32 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 12:03 AM (IST)
अपने दुख-दर्द भूल नंद के अनंत आनंद में डूबे ब्रजवासी, लाला की छीछी बनी मस्तक की शोभा
अपने दुख-दर्द भूल नंद के अनंत आनंद में डूबे ब्रजवासी, लाला की छीछी बनी मस्तक की शोभा

मथुरा [अजय शुक्ला]। नंदबाबा के गोकुल में रविवार को उल्लास पराकाष्ठा पर दिखा। भक्तों ने, ज्ञानियों ने तो कारागार में प्रकटते ही भगवान के अवतार के खुशी ओढ़ ली, नंदबाबा के गोकुल में एक दिन बाद अनंत आनंद छाया। यहां ढलती उम्र में बड़ी साध-साधना के बाद नंद के घर लालना आया। यशोदा ने 'लाला' जना, इसलिए समूचा ब्रज नंद के आनंद में शामिल होने गोकुल में उमड़ पड़ा।

loksabha election banner

यह भागवत में दर्ज है और पूरी दुनिया जानती है कि कान्हा कंस के कारागार (श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर ) में प्रकट हुए और पिता वसुदेव उन्हें टोकरी में रख गोकुल में नंद बाबा के घर यशोदा के पालने में छोड़ गए। मथुरा में गोकुलवासियों के लिए यह दूसरा सच है। उनका पहला सच है कि नंद बाबा के घर लाला जन्मा है। नंद की खुशी में द्वापर में गोकुल जितना खुश हुआ होगा, उससे कम खुश आज का गोकुल भी नहीं दिखा। देशभर से जो लोग मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर जन्मोत्सव का आनंद लेने आए रविवार की सुबह उनके कदम यमुना पार गोकुल में नंदोत्सव की धूम देखने बढ़ चले।

पौ फटते ही नंद भवन और नंद चौक पर ब्रजवासी जमा होने लगे। उधर, नंद भवन में थाली बजी और इधर भक्त व श्रद्धालु बधाई गाने लगे, कुछ मगन हो नाचने लगे। जिसके पास जो था, वह लुटाने लगा। लोग लाला की छीछी (दही में घुली हल्दी) आर्शीवाद की तरह मस्तक पर लगा रहे थे। हर तरफ लूट मची थी और हर कोई लूटने को बेताब।

कुछ ऐसा ही नजारा पुरानी गोकुल (महावन) में भी दिख रहा था। गोकुल से लोग सीधे यहीं आ रहे थे। जो गोकुल में नंदोत्सव में शामिल नहीं था, वह जहां था वहीं अपने हिसाब से उल्लास में डूबा था।

गोकुल की गलियों में अपनी बैलगाड़ी से लाला की छीछी लुटा रहे तरुण ने बताया कि द्वापर में जब नंद के घर थाली बजी तो जिसके हाथ जो लगा वह वही लुटाने लगा। लोगों ने लाला की छीछी भी लुटाई। यही परंपरा आज भी निभाई जाती है। यह परंपरा मथुरा नगर, वृंदावन, गोवर्धन, नंद गांव, बरसाने सहित समूचे ब्रज में रविवार को अपना आकर्षण बिखेरती रही।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.