वासंती बयार के साथ ब्रज में छायौ वसंत कौ रंग
मथुरा, जागरण संवाददाता। सुहानी हवा में बसंत की मस्ती घुलते ही ब्रज के मंदिर कन्हैया के जयकारों से गूंज उड़े। मंदिरों में अबीर-गुलाल उड़ाकर होली के आगमन की सूचना दी गई। बांकेबिहारी, द्वारिकाधीश और गिरिराज जी सहित तमाम मंदिरों में प्रभू के विग्रह को बसंती पोशाक में सजाया गया।
जागरण संवाददाता, मथुरा: माघ मास की पंचमी पर रविवार को ऋतुओं के राजा वसंत का शुभ आगमन तो हुआ ही, ब्रज में डांढा गढ़ते ही 40 दिवसीय होली महोत्सव का शुभारंभ भी हो गया। प्रमुख मंदिरों में ठाकुर जी के विग्रह को पीतांबर धारण कराए गए। अबीर-गुलाल उड़ाया गया। और इसके साथ ही ब्रज में होली की उमंग छा गई।
रविवार को ब्रज की आभा निराली थी। समूचा ब्रज वसंत की मस्ती में सराबोर था। ऋतुराज के आगमन से सूरज की किरणों में अजीब लालिमा थी। पीतांबरी ओढ़े धरा दुल्हन सी सजी थी। हवा की कशिश गुदगुदा रही थी। ऐसा समां बने, तो मस्ती छा जाना लाजमी था। वसंत पंचमी पर ठा. बांकेबिहारी को पीतांबर धारण कराया गया। वृंदावन में ठा. बांकेबिहारी मंदिर में सेवायतों ने ठाकुरजी की ओर से रंग और गुलाल की बौछार शुरू कर दी। दोपहर एक बजे राजभोग आरती तक ये सिलसिला जारी रहा। द्वारिकाधीश मंदिर में सुबह दस बजे राजभोग के दर्शन में ठाकुरजी के समक्ष गुलाल धरते ही होली की मस्ती में श्रद्धालु झूम उठे।
गोवर्धन स्थित मुकुट मुखार¨वद मंदिर पर सुबह सेवायत राजकुमार शर्मा ने केशरयुक्त दूध से प्रभु का अभिषेक किया। गिरिराज प्रभु को सोने के मुकुट, वंशी, गलहार धारण कराया। दोपहर में वसंती सामग्री का प्रसाद अर्पित किया गया। वृंदावन में लखनवी अंदाज और वृंदावन के वैभव के अतुल्य संगम शाहजी मंदिर में वसंती कमरा दर्शनार्थ खोला गया।
बरसाना स्थित लाडिली मंदिर में वसंत पूरे जोश में दिखा। शाम सेवायतों ने समाज गायन शुरू किया। राधारानी के चरणों में गुलाब अर्पित करने के साथ जगमोहन में होली का डांढा बांधा गया। समाज गायन हुआ। जन्मभूमि, नंदगांव में भी होली की मस्ती में श्रद्धालु सराबोर हो गए। होली महोत्सव के प्रमुख आयोजन 19 फरवरी- केवल द्वारिकाधीश में डांढा गड़ेगा
14 मार्च- बरसाना में लड्डू होली
15 मार्च- लठमार होली
16 मार्च- नंदगांव में लठमार होली
17 मार्च-जन्मस्थान में होली
18 मार्च- रावल में होली
19 मार्च- गोकुल में छड़ीमार होली
22 मार्च- बलदेव में हुरंगा
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