उन दिनों की समस्या को समझ बन गए पैडमैन
रोटरी क्लब मथुरा सेंट्रल ने 30 से ज्यादा कॉलेज में लगाईं सेनेटरी पैड वेंडिग मशीनें
उमेश भारद्वाज, मथुरा: पैडमैन फिल्म तो याद होगी। किसी तरह से नायक युवतियों की उन दिनों में होने वाली समस्याओं को समझ जाता है। कुछ ऐसा ही काम रोटरी क्लब मथुरा सेंट्रल ने किया है। क्लब जिले में 30 से ज्यादा स्कूल-कॉलेज में मशीनें लगा चुका है।
टॉयलेट ब्लॉक में सच उजागर:
रोटरी क्लब ने पहले स्कूलों में टॉयलेट ब्लॉक बनाने का निर्णय लिया था। एक ब्लाक में छह से 12 सीटर शौचालय का निर्माण कराया जाता है। इसके सर्वे के दौरान ही पता चला कि मासिक धर्म की समस्या के कारण बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल जाना छोड़ देती हैं। 12 से 17 साल की उम्र ऐसी होती है जिसमें बालिका से किशोरी बनने के दौरान लड़कियों में कई तरह के शारीरिक बदलाव आते हैं। इसी में एक है मासिक धर्म, बालिकाएं अज्ञानतावश न तो परिवार को बताती हैं और न शिक्षिकाओं को। स्कूलों में सेनेटरी पैड की व्यवस्था है पर वह मांगने पर ही शिक्षिकाएं देती हैं। अधिकांश बालिकाएं संकोच में शिक्षिकाओं को नहीं बतातीं और इन दिनों जो घर बैठती हैं तो फिर स्कूल का मुहं नहीं देखतीं।
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नीरव का ख्याल सबको भाया:-बीते वर्ष रोटरी क्लब मथुरा सेंट्रल के अध्यक्ष नीरव निमेश अग्रवाल और सचिव गौतम गोयल थे। नीरव को ख्याल आया क्यों न स्कूलों में सेनेटरी पैड मशीन लगवा दी जाएं, जिससे बच्चियों की झिझक स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। बाजार में यह मशीन छह हजार रुपये में मौजूद है। इसमें एक बार में 25 पैड आते हैं। मशीन में पांच रुपये का सिक्का डालते ही उसमें से एक पैड बाहर आ जाएगा। क्लब के सभी सदस्यों को यह सुझाव पसंद आया तो करीब 40 मशीनें मंगा ली गईं। यहां लगाईं मशीनें:
बीएसए कॉलेज, बिड़ला स्कूल, सेक्रेट हार्ट, रमन लाल शोरा वाला स्कूल, जानकी बाई गर्ल्स इंटर कॉलेज, श्रीजी बाबा गर्ल्स कॉलेज, चमेली देवी खंडेलवाल गर्ल्स कॉलेज, पुलिस मॉर्डन स्कूल सहित वृंदावन के स्कूल शामिल हैं। डिस्ट्रिक्ट को भा गई योजना:
मथुरा सेंट्रल के पूर्व अध्यक्ष नीरव निमेश अग्रवाल की यह योजना डिस्ट्रिक्ट को पसंद आ गई। रोटरी के डिस्ट्रिक्ट में आगरा, बरेली, कानपुर मंडल सहित उत्तराखंड के कई जिलों को मिलाकर 38 जिले शामिल हैं। डिस्ट्रिक्ट टीम ने भी इसमें सहभागिता की और करीब ढाई सौ से ज्यादा मशीनें विभिन्न स्कूलों में लगाने का निर्णय लिया गया। इसमें अकेले मथुरा में 40 लगेंगी। आगरा, हाथरस, बरेली, अलीगढ़ आदि जिलों में मशीनें लगाई जा रही हैं। कर्मचारी को जिम्मेदारी:बाजार में सामान्यत: चार से पांच रुपये में पैड आ जाता है। कॉलेज की किसी महिला कर्मचारी की जिम्मेदारी रहेगी वह पैड खत्म होने पर रुपये निकाले और बाजार से पैड लाकर उसमें लगा दे। टीम में यह रहे शामिल: योजना को अमली जामा पहनाने वाली टीम में वर्तमान अध्यक्ष दीपक गोयल, सचिव नीलेश टेंटीवाल, बीएसए कॉलेज के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष अरुण सिघल का सहयोग रहा। बालिकाओं को किया जाता शिक्षित:
वृंदावन स्थित आरोग्यदीप हॉस्पिटल की डॉ. वर्तिका स्कूलों में बालिकाओं को जागरूक करने के लिए कार्यशाला करती हैं। मशीन से निकले पैड और सामान्य कपड़े से होने वाले लाभ-हानि के साथ शरीर के विकास के संबंध में जानकारी दी जाती है।
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