जब कान्हा की वंशी पर नटराज भूल गए सुध-बुध
ब्रज भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि है। यहां उनकी आल्हादिनी शक्ति राधारानी का ही राज आज भी चलता है। ब्रज में राधाकृष्ण और गोपियों के बीच कोई न आया और न ही आने की अनुमति थी। ऐसा ही परिदृश्य भगवान की महारास लीला के समय देखने को मिला। जबकि महारास में ब्रजगोपियों के अलावा जब किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं थी,ाुरा) ब्रज भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि है। यहां उनकी आल्हादिनी श
विपिन पाराशर, वृंदावन (मथुरा)
ब्रज भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि है। यहां उनकी आल्हादिनी शक्ति राधारानी का ही राज आज भी चलता है। ब्रज में राधाकृष्ण और गोपियों के बीच कोई न आया और न ही आने की अनुमति थी। ऐसा ही परिदृश्य भगवान की महारास लीला के समय देखने को मिला। जबकि महारास में ब्रजगोपियों के अलावा जब किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं थी, तो भोलेनाथ गोपी रूप रखकर ब्रजगोपियों को भ्रमित कर वंशीवट पर तो प्रवेश कर गए। मगर, भगवान श्रीकृष्ण भी अंतर्यामी थे। उन्होंने जैसे ही अपनी वंशी से स्वर निकाले तो नटराज अपनी ताता-थइया भूल सुध-बुध खो बैठे। भोलेनाथ ने ऐसी सुधबुध खोई कि सिर से साड़ी खिसक गई और सारा भेद खुल गया। तभी से वृंदावन के वंशीवट पर भोलेनाथ गोपीरूप में भक्तों का कल्याण कर रहे हैं।
वृंदावन के वंशीवट पर ब्रज के चार शिवालयों में गोपीश्वर महादेव मंदिर श्रीकृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ द्वारा प्रस्थापित है। यहां शिव¨लग का नाम गोपीश्वर खुद भगवान श्रीकृष्ण ने रखा था। संत अनुरागी महाराज लिखते हैं कि जब भगवान श्रीकृष्ण राधाजी और ब्रजगोपियों संग वंशीवट पर महारास कर रहे थे, तो उनकी वंशी की धुन सुनकर कैलाश पर विराजे भोलेबाबा का भी ध्यान भंग हो गया। ध्वनि से आकृष्ट होकर ब्रज की ओर चल पड़े। साथ पार्वती आईं ओर सभी महारास में शामिल होने की तैयारी करके आए। चूंकि महारास में एक पुरुष को छोड़कर दूसरे किसी पुरुष को प्रवेश न था तो भोलेनाथ ने महारास में प्रवेश पाने का उपाय ललिता सखी से पूछा। उन्होंने कहा मानसरोवर में स्नान कर नारी रूप रखने पर ही प्रवेश मिल सकेगा। भोलेनाथ ने ऐसा ही किया और सोलह श्रंगार कर महारास में प्रवेश पा लिया। मगर, जब यहां पहचान लिए गए तो आज भी भोलेनाथ गोपीरूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।
गोपीश्वर में आज है महाशिवरात्रि
गोपीश्वर महादेव मंदिर के सेवायत आचार्य रामगोपाल गोस्वामी ने बताया कि गोपीश्वर महादेव मंदिर में 13 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन व्रत रखा जाएगा, जबकि 15 फरवरी को खप्पर पूजन होगा। बताया कि जेहर आदि भी 13 फरवरी को ही चढ़ाई जाएंगी। जबकि दूसरे सेवायत सोनू गोस्वामी ने बताया कि महाशिवरात्रि 13 फरवरी को ही मनाई जाएगी, इसी दिन आरती और 14 फरवरी को खप्पर पूजा होगी। चूंकि लोग उदया तिथि के अनुसार पर्व मानते हैं तो 14 को भी व्रत रख सकते हैं।
कांवरियों की लगी कतार
महाशिवरात्रि पर्व पर भोलेनाथ को गंगाजल से महाभिषेक करने को कोसों दूर गंगाजी से कांवर में जल लेकर आ रहे भक्तों की गोपीश्वर महादेव मंदिर पर कतार लगना शुरू हो गई है। सोमवार की सुबह से ही कावंड़ियों के झुंड वृंदावन की ओर आ रहे हैं। इसके अलावा ब्रज के चार महादेवों का महाभिषेक व पूजन करने वालों की भी भारी भीड़ सोमवार को पूरे दिन गोपीश्वर महादेव मंदिर पर उमड़ती रही। जो गोपीश्वर महादेव मंदिर से शुरू करके मथुरा के भूतेश्वर, गोवर्धन के चकलेश्वर और कामा के कामेश्वर महादेव मंदिर में महाभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं। वृंदावन मथुरा मार्ग पर दिनभर नंगेपैर पैदल चल रहे भोलेनाथ के भक्तों की लंबी कतार लगी रही।