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राधारमण के आंगन में बरस रहा आनंद

सेवा सौभाग्य झूलन महोत्सव में गूंज रहे हरिनाम संकीर्तन के स्वर

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 12:27 AM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 06:27 AM (IST)
राधारमण के आंगन में बरस रहा आनंद
राधारमण के आंगन में बरस रहा आनंद

वृंदावन,जासं। सप्तदेवालयों में प्रमुख राधारमण मंदिर में चल रहे सेवा सौभाग्य झूलन महोत्सव में बरस रहे आनंद में देश विदेश से आए श्रद्धालु सराबोर हो रहे हैं। सुबह से हरिनाम संकीर्तन के गूंज रहे स्वरों पर आनंदित श्रद्धालु थिरकते नजर आ रहे हैं। हरे राम हरे कृष्ण की मधुर ध्वनि भक्तों को आनंदित कर रही है। शाम को फूलबंगला में विराजे राधारमण की छवि निहारते श्रद्धालु खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

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ठा. राधारमण मंदिर में श्रीमन्माध्वगौड़ेश्वर वैष्णवाचार्य शरदचंद्र गोस्वामी, श्रीमन्माध्वगौड़ेश्वर वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वामी के सान्निध्य में चल रहे सेवा सौभाग्य झूलन महोत्सव में आध्यात्म की बयार बह रही है। आध्यात्मिक आनंद लेने को आ रहे भक्त सुबह से शाम तक चल रहे उत्सव के हर पल का आनंद ले रहे हैं। सुबह मंगला आरती के बार संकीर्तन मंडली द्वारा गाया जा रहे हरिनाम संकीर्तन के स्वर जब मंदिर में गूंजते हैं तो खुद ब खुद भक्तों के कदम नृत्य करते दिखाई देते हैं। सुबह से लेकर शाम तक होने वाली आरतियों में श्रद्धालुओं की भीड़ से मंदिर परिसर गुलजार नजर आ रहा है। मनुष्य को दर्द ही महसूस कराता है जीवन का मूल्य: वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वामी

-जब तक डर महसूस न होगा उसके बारे में पता नहीं चलता। दर्द का पता चलने के बाद ही मनुष्य को पता चलता है कि जीवन कितना क्षण भंगुर है।

राधारमण मंदिर में चल रहे सेवा सौभाग्य झूलन महोत्सव में बुधवार की शाम कठोपनिषद पर प्रवचन करते हुए श्रीमन्नमाध्वगौड़ेश्वर वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वामी ने कठोपनिषद पर प्रवचन करते हुए कहा यम और नचिकेत की चर्चा शुरू हुई और नचिकेत पहुंच गए यम के द्वार पर। कहा यम के द्वार पर पहुंचकर नचिकेत ने कहा मैं तीन दिन से यहां बैठा हूं। यमराज ने जब पूछा तूने क्या पाया, जो उत्तर मिला कि पुण्य पाया। कहा कि यमराज को भी नचिकेत के पुण्य की चिता थी। नचिकेत ने यमराज से पहला वरदान मांगा कि जब में यहां से वापस जाऊं तो मेरे पिता मुझे पुत्र भाव में रखें। उन्होंने नास्तिक और नास्तिक पर चर्चा करते हुए कहा जिसके जीवन में हां है वह आस्तिक है और जिसके जीवन में न ही न भरा पड़ा है वह नास्तिक है। रास्ते में चलते हुए कोई अगर तुमसे एक रुपया मांगे तो आपका जवाब होता है नहीं दूंगा, उस समय आपका हृदय कठोर होता है यही नास्तिक है। जबकि घर में छोटे बालक की जिद पूरी करने के लिए मां, दादी का हृदय जब पिघलता है वह आस्तिकता का प्रतीक है।


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