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संक्रमण से तो नहीं, शायद बारिश से बचा ले पीपीई किट

चंद्रशेखर दीक्षित मथुरा शहर की आम दुकानों पर रेनकोट की तरह बिक रही पीपीई किट कोरोना संक्रमण से तो आपको नहीं बचा सकती लेकिन बारिश में भीगने से शायद बचा ले। कारण स्पष्ट है कि दुकानों की शोभा बढ़ा रहीं इन पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट) किट को बनाने और बेचने में नियम कायदे सब ताक पर हैं। मानक भी मनमाने हैं और कीमत भी। जिन अफसरों पर इन सब पर अंकुश लगाने का दारोमदार है वह इस संवेदनशील दौर में भी गाइडलाइन की आड़ में आंख मूंद सुस्ता रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 12:35 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 06:06 AM (IST)
संक्रमण से तो नहीं, शायद बारिश से बचा ले पीपीई किट
संक्रमण से तो नहीं, शायद बारिश से बचा ले पीपीई किट

चंद्रशेखर दीक्षित, मथुरा : शहर की आम दुकानों पर रेनकोट की तरह बिक रही पीपीई किट कोरोना संक्रमण से तो आपको नहीं बचा सकती, लेकिन बारिश में भीगने से शायद बचा ले। कारण स्पष्ट है कि दुकानों की शोभा बढ़ा रहीं इन पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट) किट को बनाने और बेचने में नियम कायदे सब ताक पर हैं। मानक भी मनमाने हैं और कीमत भी। जिन अफसरों पर इन सब पर अंकुश लगाने का दारोमदार है, वह इस संवेदनशील दौर में भी गाइडलाइन की आड़ में आंख मूंद सुस्ता रहे हैं।

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पीपीई किट के साथ पहली और अहम शर्त तो यही है कि ये कीटाणुरोधी होनी चाहिए। जबकि बाजार में मिल रही पीपीई किट की गुणवत्ता को लेकर कोई मानक ही तय नहीं है। कोई कपड़े की किट बना रहा है, तो कोई प्लास्टिक की। किट की कीमत कितनी होगी, इसे लेकर भी गाइडलाइन साफ नहीं। हाल ये है कि दो सौ रुपये से लेकर 18 सौ रुपये तक की पीपीई किट बाजार में उपलब्ध है। हालांकि जैम पोर्टल के जरिए सरकारी कार्यालय में खरीदी जा रही पीपीई किट की कीमत महज 289 रुपये रखी गई है।

लॉकडाउन-4 में छूट मिली, तो पीपीई किट की मांग भी बढ़ गई। बड़ी संख्या में लोग पीपीई किट का निर्माण करने में जुट गए। इसके लिए कोई भी मानक तय नहीं है। ऐसे में बनाते समय भी इसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है। जानकारों का मानना है कि बाजार में मिल रही पीपीई किट गुणवत्ता विहीन है। इससे किट पहनने वाले को संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए कम से कम पीपीई किट 60 जीएसएम की होनी चाहिए। वह भी छह घंटे से अधिक नहीं पहननी चाहिए। इसके बाद उसे सावधानीपूर्वक नष्ट कर देना चाहिए। लेकिन बाजार में धड़ल्ले से तीस जीएसएम की किट बिक रही है।

आइएमए के अध्यक्ष डॉ. अनिल चौहान का कहना है कि कम से कम 60 जीएसएम (ग्राम प्रति स्क्वायर मीटर) की पीपीई किट होनी चाहिए। इससे कम की पीपीई किट संक्रमण को रोकने में सफल नहीं होती।

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पंकज गुप्ता कहते हैं कि ऑपरेशन करते समय 90 से 140 जीएसएम की किट ही पहनी जाती है। ये मोटी होती है, इसमें संक्रमण प्रवेश नहीं कर सकता। ओपीडी के समय हम 60 से 90 जीएसएम की किट इस्तेमाल करते हैं। इससे कम की किट पहनने वाला संक्रमित हो सकता है। बॉक्स

अफसरों ने साध ली चुप्पी

औषधि निरीक्षक अनिल कुमार आनंद पर मानकों के पालन की जिम्मेदारी है। वह कहते हैं कि हमारे एक्ट में पीपीई किट को लेकर कोई मानक निर्धारित नहीं हैं। हर किट पर रेट लिखे होते हैं, ओवररेटिग पर हम कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन गुणवत्ता को लेकर कार्रवाई की कोई जानकारी नहीं है। सीएमओ डॉ. संजीव यादव का कहना है कि हमें उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन से सारे इक्यूपमेंट उपलब्ध कराए गए हैं, वही इस्तेमाल किए जा रहे हैं। वर्जन -

बाजार में 30 से 90 जीएसएम की पीपीई किट बिक रही हैं। 60 से 80 जीएसएम की किट की बिक्री भी ठीक हो रही है। इनकी कीमत 300 से 1500 रुपये है। अधिकांश किट की आपूर्ति गाजियाबाद से हो रही है।

-विनय बंसल, संचालक, मेडिकल स्टोर


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