महिला समूहों के माध्यम से सुपोषण का संदेश दे रहीं शर्मिला
महिला समूह की सदस्य आपस में पैसा एकत्र कर जरूरतमंदों को उपलब्ध कराती हैं पोषण आहार
मथुरा, जासं। सही मायने में एक बेहतर समाज का सपना तब ही साकार हो सकता है, जब माताएं और बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ हों। कुपोषण इस राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। इस रोड़ा को हटाने के मिशन में शर्मिला महिला समूहों के माध्यम से जुटी हुई हैं। जरूरतमंद बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए समूहों के जरिए पैसा एकत्र कर पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता है। हर महीने होने वाली बैठक में पौष्टिक आहार की जानकारी दी जाती है।
महिला समाख्या की ब्लॉक कोआर्डिनेटर शर्मिला एक साल से मथुरा, छाता और नंदगांव ब्लॉक में महिला समूहों के माध्यम से कुपोषित बच्चों और गर्भवती को जागरूक करने के साथ पोषण में मदद करती हैं। समूह में महिलाएं 10-10 रुपये का आपस इकट्ठा कर पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा कराती हैं। इसके अलावा शर्मिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और समूहों की सदस्यों और स्वयं फोन से कुपोषित बच्चों और गर्भवती से सीधे जुड़ी रहती हैं। शर्मिला मथुरा में 45, छाता में 57 और नंदगांव में 38 महिला समूहों का संचालन कर रही हैं। शर्मिला का कहना है कि कभी कभार किसी आंगनबाड़ी केंद्र पर समय से पंजीरी वितरित नहीं होती है। इस पर शिकायत को संज्ञान में लेते हुए वितरण कराया जाता है। इसके अलावा बैठकों गर्भवती माताओं को चना, गुड़ जैसे आहार के प्रयोग के बारे में बताया जाता है। उनका कहना है कि नौकरी के साथ समाज में आपसी सहयोग की भावना प्रेरित कर कुपोषण को मात दी जा सकती है। जब माता और बच्चे ही शारीरिक तौर पर स्वस्थ नहीं होंगे तो तब हमारी तरक्की बेमानी होगी। आखिर जान है तो जहान है।