शब्दों के समंदर में भावनाओं का ज्वार
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में रही न भूलने वाली शाम कविता की महफिल सजी तो गीतों की गंगा में श्रोताओं ने लगाए गोते
मथुरा, जासं। कवियों की पेशकश, श्रोताओं की वाह-वाह, तालियों की गड़गड़ाहट और न भूलने वाली शाम। ये नजारा था गोवर्धन रोड स्थित श्रीजी बाबा सरस्वती विद्या मंदिर के सभागार का। जब वाणी पुत्रों ने काव्य पाठ शुरू किया, तो शब्दों के समंदर में भावनाओं के ज्वार उठने लगा। ये खूबसूरत शाम सजाई थी दैनिक जागरण ने। कविता की महफिल सजी, तो गीतों की गंगा में श्रोताओं ने गोते लगाए। ओज की कविताएं हुईं, तो देशभक्ति पर भुजाएं फड़फड़ा उठीं। कान्हा की नगरी के लिए सोमवार की शाम अलहदा थी। कविता की महफिल सजी तो गीतों की गंगा में श्रोताओं ने गोते लगाए। डॉ. सुरेंद्र शर्मा की तो पूछो मत। हास्य और व्यंग्य का ऐसा समां बांधा कि पूरा सभागार देर रात तक हंसी के ठहाकों से गूंजता रहा।
कवि सुरेंद्र शर्मा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। फिर भी कुछ लोग उनको पहली बार सुन रहे थे। उनके हर चार लाइना पर रात जवां होती गई और तालियों की गड़गड़ाहट सम्मेलन स्थल पर उत्साह और जोश का संचार करती रहीं। 'चप्पा-चप्पा हुआ विषैला, किसने ऐसा विष बांटा, मरघट-मरघट चहल-पहल है, पनघट-पनघट सन्नाटा', ' अगर राम शबरी के झूठे बैर खा सकते हैं, तो शबरी राम के मंदिर में क्यों नहीं जा सकती है' कविता पर जमकर तालियां बजीं।
हास्य कवि पवन आगरी ने 'केसर की घाटी में अब खुशहाली छा गई है, जंगली कुत्तों को गुजराती बिल्ली खा गई है', 'इधर हम प्रियंका में इंदिरा ढूंढते है रहे, उधर शाह में पटेल की आत्मा आ गई है' सुनाया तो तालियां बंद होने का नाम नहीं ले रहीं थीं।
विनीत चौहान की 'पूरी घाटी दहल रही थी, आतंकी अंगारों से, कश्मीर में आग लगी थी पाकिस्तानी नारों से। इन दो घटनाओं का निपटाना मजबूरी था और 370 हटना बहुत जरूरी था ' कविता ने दर्शकों में जोश भर दिया। प्रियांशू गजेंद्र ने 'इतने निर्मोही कैसे सजन हो गए, किसकी बाहों में जाकर मगन हो गए',' लौट कर न आए वो परदेश से, आदमी न हुए काला धन हो गए' सुनाई तो वातावरण में जोश भर गया। विनीत चौहान ने 'बहुत दिनों के बाद देश में ऐसा मौसम आया है, अमर तिरंगा काश्मीर में खुलकर के लहराया है' सुनाई तो वातावरण में देश भक्ति की भावना घुल गई। मुमताज नसीम ने 'तुझे इसकी कोई खबर नहीं हैं, ये मुरे सुकून की बात है, मेरी जिदगी का सवाल है, तेरे एक फोन की बात है', 'खुद को बीमार कर लिया है हमने, अब तो लगता है जान जाएगी' सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। दिनेश रघुंवशी ने 'तीन रंगों का यहां सम्मान सबके दिल में हैं, देश की खातिर जिएं यह अरमान सबके दिल में हैं, कौन कर सकत है हमको अलग, धड़कनों की तरह हिदुस्तान सबके दिल मे हैं'गाकर देश भक्ति की भावना से सभी को ओतप्रोत कर दिया। कार्यक्रम के यह थे प्रायोजक
मथुरा रिफाइनरी, स्वीटी सुपारी, जीएलए विवि, बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिग एंड टेक्नॉलोजी, टैकमैन, तनिष्क, श्री प्रोपर्टी, कान्हा माखन ग्रुप ऑफ स्कूल्स, रमनलाल शोरावाला पब्लिक स्कूल, रौमेक्स इंटरनेशनल सीनियर सैकेंडरी स्कूल, बाथ कलेक्शन, दाऊदयाल इत्र वाले, द मिस्टिक पाम्स, माया टूर एंड ट्रैवल्स, कोषदा, खजानी वूमेंस इंस्टीट्यूट, बंसल फूड्स, यूनिकॉम एडवरटाइजिग।