भीड़ के सामने नए अंदाज में दिखे पीएम मोदी
भीड़ से इस बार कम ही सुनाई दिए मोदी-मोदी के नारे, प्रधानमंत्री ने पूरे भाषण में विरोधियों की बात तक नहीं की
मथुरा, जासं। पीएम की बॉडी लैंग्वेज आज कुछ अलग ही कहानी कह रही थी। चयनित श्रोताओं के बीच निर्धारित स्पेस में उनका जोश आम दिनों जैसा दिखाई नहीं दिया। भीड़ में लगने वाले मोदी-मोदी के नारों के स्वर भी धीमे ही रहे। अलबत्ता योगी जब भाषण देने को खड़े हुए तो भीड़ ने अधिक जोश दिखाया। पीएम ने भी इस मौके पर विरोधियों पर कोई निशाना नहीं साधा। साफ है कि सेवा के इस मंच पर वह सीधी सियासत से बचते नजर आए।
विरोधियों पर हमेशा आक्रामक रहने वाले पीएम मोदी अक्षयपात्र के मंच पर नरम नजर आए। करीब 25 मिनट के भाषण में उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का नाम तक नहीं लिया। सांसद हेमामालिनी को लोकप्रिय कहकर प्रशंसा की और बस दो बार मथुरा के धार्मिक महत्व पर बात की। अक्षयपात्र के कामों की चर्चा करते हुए सात्विक भोजन पर जोर दिया और इसे गोकुल की गलियों से जोड़ा। मथुरा के मिजाज को समझते हुए लीलाधर बाल गोपाल की भूमि बताते हुए परंपरा, सेवा, समर्पण के महत्व को रेखांकित कर नम्रता के साथ अपने मिजाज की बात रखी। उद्बोधन की शुरुआत में ही उन्होंने देरी से आने के लिए क्षमा मांगी। अपनी सरकार की बेहतरी यह कहते हुए गिनाई कि पहले की सरकार इस तरह की योजनाएं चला रही थी लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। हमने इसे मिशन की तरह चलाया। वह अपने काम और मंशा को सेवा और समर्पण से जोड़ते नजर आए। अलबत्ता उन्होंने गोसेवा की बात कर अपने धार्मिक एजेंडे को भी जारी रखने के संकेत दिए। मोदी ने भाषण में दस बार सेवा का जिक्र किया। दो बार भगवत गीता के श्लोक बोले। अक्षयपात्र का नाम चार बार लिया। प्रयागराज कुंभ का तीन बार जिक्र किया लेकिन एक बार भी विरोधियों पर तंज नहीं किया।
इससे पहले जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाषण देने खड़े हुए तो भीड़ में गर्माहट दिखाई दी। जय श्रीराम के नारे लगाए गए। उन्होंने भी राजनीति की बात न कर प्रदेश में अक्षयपात्र के कामों को बढ़ाने के लिए सरकार के सहयोग की बात कही।
अटल से लेकर मोदी तक
अक्षयपात्र के कार्यो के बहाने प्रधानमंत्री ने अटल को भी याद किया। कहा कि जब अक्षयपात्र ने मिड डे मील योजना की शुरूआत की तो अटल बिहारी बाजपेयी ने पहली थाली परोसी थी। वहीं 300 करोड़ वीं थाली परोसने का सौभाग्य उन्हें मिला है। उन्होंने अक्षयपात्र के चेयरमैन मधु पंडित दास को गांधी पीस प्राइज और पदमश्री मिलने का भी जिक्र किया। पुण्यतिथि पर दीनदयाल को याद करना भूले
जनसंघ के संस्थापक महासचिव और भाजपा के विचार पुरुष पं दीन दयाल उपाध्याय की जन्मस्थली मथुरा में होने के बावजूद उन्होंने दीनदयाल का नाम तक नहीं लिया। आज (11 फरवरी) को दीनदयाल की पुण्यतिथि भी थी, इसके बावजूद भी उनका नाम मोदी के जुबां पर न आने से कार्यकर्ताओं में इसकी चर्चा रही ।