एनजीटी की सख्ती ने फुलाईं अफसरों की सांसें
मथुरा पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रि
जागरण संवाददाता, मथुरा : पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सख्त हो गया है। पिछले वर्ष 464 किसान सैटेलाइट से चिन्हित किए गए थे। इन्हें नोटिस जारी किया गया था। इस बार एनजीटी ने पराली जलाने पर किसानों के साथ ही निचले स्तर के अधिकारियों से लेकर बड़े अधिकारियों तक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में अफसरों की सांसें फूल रही हैं। गांव-गांव अफसर दौड़ लगा रहे हैं।
धान की पराली जलाने से हो रहे प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने किसानों के साथ साथ राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश पहले ही जारी कर दिए थे। पराली जलाने वालों किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने और जुर्माना वसूलने के भी निर्देश एनजीटी ने प्रशासन को दिए थे। पिछले साल सैटेलाइट से कराई गई निगरानी में जिले में 464 मामले पराली जलाने के सामने आए थे। अलग-अलग थाना क्षेत्रों में पराली जलाने के 6 मुकदमा दर्ज हुए थे। 21 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। किसानों से 6.33 लाख रुपये का जुर्माना वसूल किया गया। अधिकतर मामले छाता तहसील में सामने आए थे। अक्टूबर में धान की फसल पक जाएगी। इसके बाद किसान गेहूं की बुवाई के लिए खेत तैयार करेंगे। बुवाई में देरी नही हो, इसलिए वे खेतों में ही पराली को जलाते रहे हैं। किसान किए थे जागरूक:
पराली को जलाने के बजाए खेतों में ही उसका इस्तेमाल करने के लिए पिछले साल पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों ने किसानों को जागरूक किया और इसके साथ ही पराली से खाद बनाने की तकनीकी भी किसानों को बताई गई। मगर, इसके सुखद परिणाम सामने नहीं आए। --चिन्हीकरण शुरू: इस बार किसान पराली को किसी भी सूरत में जला नहीं पाए। इसके लिए कृषि विभाग ने अभी से अपनी तैयारियां तेज कर दी। प्रशासन भी सतर्क हो गया है । कृषि विभाग धान उत्पादक किसानों को चिन्हित कर उनकी फसल के रकबा की भी जानकारी कर रहा। किसानो को आगाह किया जा रहा है कि इस बार किसान अपने खेतों में पराली ना जलाएं। पराली जलाने पर उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज करा कर जुर्माना वसूलने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। बॉक्स
प्रधान का भी उत्तरदायित्व होगा तय: पराली जलाने के मामले की रोकथाम के लिए ग्राम प्रधानों का भी उत्तरदायित्व तय किया जाएगा । जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने सभी ग्राम प्रधानों को पत्र लिखें हैं। जो गांव-गांव कृषि विकास विभाग प्रधानों को रिसीव करा रहा है। डीएम ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी गांव में पराली जलाई जाती है तो संबंधित ग्राम पंचायत के प्रधान का भी दायित्व तय किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ प्रधानों के अलावा निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक के अधिकारियों के खिलाफ भी पराली जलाने के मामलों में कार्रवाई की जाएगी एनजीटी ने इस बात के संकेत भी पहले ही प्रशासन को दिए थे। पराली जलाने के मामले को एक अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है ।अगर कोई भी किसान खेतों में पराली जलाएगा तो उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराकर कार्रवाई भी कराई जाएगी।
-धुरेंद्र कुमार, उप कृषि निदेशक