श्रद्धा की नगरी में उमड़ा आस्था का सैलाब
नववर्ष के पहले दिन आस्था की कोई थाह नहीं थी। मंदिरों में पैर रखने तक जगह नहीं थी लेकिन कोई भी परेशानी श्रद्धालुओं को ठाकुरजी के दरबार में आने से नहीं रोक सकी। प्रभु को निहार नये वर्ष में सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। ठाकुरजी के दर्शन कर भक्तों को लगा कि उनको आशीर्वाद मिल गया है। मंदिर भगवान श्रीकृष्ण-राधा के जयघोष से गूंज रहे थे। सुधबुध खोए श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने को व्याकुल थे। नववर्ष के पहले दिन बुधवार
मथुरा : नए साल के पहले दिन कान्हा की नगरी में आस्थावानों की भीड़ ऐसी उमड़ी कि सड़कें जाम हो गईं। मंदिरों में श्रद्धा से शीश नवाकर श्रद्धालुओं ने आराध्य का आशीष लिया। मथुरा के राजाधिराज द्वारिकाधीश के दर्शन को भीड़ उमड़ी तो वृंदावन में ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन को सैलाब उमड़ा। हाल ये रहा कि वृंदावन में पैर रखने की भी जगह नहीं बची।
द्वारिकाधीश मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं भी भीड़ आने लगी। मंदिर परिसर में पैर रखने की भी जगह नहीं बची। कोई सुख-समृद्धि की प्रार्थना कर रहा था, कोई सुनहरा भविष्य मांग रहा था। ठाकुरजी के दर्शन कर भक्तों के चेहरे पर खुशी छाई थी। आस्था को मापने का कोई पैमाना नहीं था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भी श्रद्धालुओं की कतार लगी थीं। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली का नजारा भी अछ्वुत विश्रामघाट सहित अन्य घाट भक्तों से गुलजार रहे। यमुना मैेया का पूजन कर श्रद्धालुओं ने स्नान किया।
वृंदावन: नए साल की शुरुआत ठा. बांकेबिहारीजी के दर्शन के साथ करने को देशभर से लाखों श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल लिया। बुधवार सुबह जिधर भी नजर जाती श्रद्धालुओं का हुजूम ठा. बांकेबिहारी मंदिर की ओर बढ़ रहा था। पट खुलते इससे पहले ही लाखों श्रद्धालु मंदिर को आ रहे चारों ओर के रास्तों में ठसाठस भरे नजर आए। मंदिर के चबूतरा की बात छोड़ें तो वीआइपी मार्ग पर परिक्रमा तक और पुलिस चौकी की ओर विद्यापीठ चौराहा तक हर ओर श्रद्धालुओं का हुजूम मंदिर की ओर ही बढ़ता नजर आया। मंदिर के अंदर और बाहर तो श्रद्धालुओं से पूरा इलाका बुधवार सुबह खचाखच भरा ही नजर आया। सप्तदेवालयों से लेकर निधिवन, सेवाकुंज, रंगजी मंदिर, कात्यायनी मंदिर, टटिया स्थान पर भी हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर नए साल की शुरुआत की। भगवान के भजनों पर थिरकते नाचते-कूदते श्रद्धालुओं ने नए साल का अभिनंदन भक्ति भाव के साथ किया। मंदिरों में भीड़ थी तो बाजार भी बांकेबिहारी के जयकारे से गूंज रहे थे। -बेरीकेडिग भी नहीं रोक पाई भक्तों की भीड़
ठा. बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ का दबाव ऐसा कि श्रद्धालु बेरीकेडिग के ऊपर होकर गुजरने को मजबूर हो गए। चबूतरे पर लगी लकड़ी की बल्लियों की बेरीकेडिग तो श्रद्धालुओं के दबाव से टूट गई। जिसके बाद श्रद्धालुओं ने तो राहत पाई। लेकिन मंदिर के अंदर की व्यवस्थाएं बनाए रखने में सुरक्षागार्डों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।