टोपी और चश्मा लगा लड्डू गोपाल बने जेंटलमैन
जागरण संवाददाता, मथुरा: हाथ में छतरी सिर पर टोपी और आंखों पर चश्मा। तापमान बढ़ने के साथ ही लड्डू गोपाल जी की पोशाक और विग्रह का बाजार भी रंगत बदलने लगा है। इन दिनों ठाकुरजी के लिए छोटे-छोटे चश्मे, टोपी व रंग-बिरंगी छतरियों का बाजार सजा है। इसके अलावा मच्छरदानी व कॉटन की पोशाकों की भी मांग देखी जा रही है।
जागरण संवाददाता, मथुरा: हाथ में छतरी सिर पर टोपी और आंखों पर चश्मा। तापमान बढ़ने के साथ ही लड्डू गोपाल जी की पोशाक और विग्रह का बाजार भी रंगत बदलने लगा है। इन दिनों ठाकुरजी के लिए छोटे-छोटे चश्मे, टोपी व रंग-बिरंगी छतरियों का बाजार सजा है। इसके अलावा मच्छरदानी व कॉटन की पोशाकों की भी मांग देखी जा रही है।
बाजार में जहां धूप से बचने के लिए युवा , बच्चे छतरी, टोपी व चश्मों का प्रयोग करते देखे जा रहे हैं वहीं अब घरों में भी ठाकुर जी का यही रूप देखने को मिल रहा है। शहर के होली गेट, छत्ता बाजार, विश्राम बाजार, डोरी बाजार आदि क्षेत्रों में सजी पोशाकों की दुकानों पर इस समय ठाकुर जी की रंग-बिरंगी व आकर्षक टोपियां भक्तों को लुभा रहीं हैं। हीरे जैसी चमक वाला ठाकुर जी का चश्मा इस शोभा को और बढ़ाता दिख रहा है। दुकानदार अर¨वद कुमार ने बताया कि यह चश्मा राजकोट से मंगाया जाता है। इसकी कीमत 40 रुपये से लेकर 100 रुपये तक निर्धारित की गई है। हैट की शुरुआती कीमत 20 रुपये से लेकर 80 रुपये तक है, जबकि विभिन्न रंगों में मौजूद छाता 60 रुपये से लेकर 100 रुपये तक की रेंज में उपलब्ध है। कृष्णा नगर निवासी श्रद्धालु उर्मिला देवी ने बताया कि मथुरा में श्रीकृष्ण का जन्म होने के कारण शुरू से ही उनकी पूजा एक बालक की तरह होती है। आज भी उनके अराध्य उनके लिए बालरूप में मौजूद हैं। इसीलिए उनकी सेवा-पूजा भी एक बच्चे की तरह ही की जाती है। मंदिरों में भी यही नियम अपनाया जाता है।