निर्माण और जलकल विभाग पर बरसी कैबिनेट
नगर आयुक्त ने भी अधिकारियों को लगाई फटकार पौधारोपण और कुटेशन के कार्यों में गड़बड़ी की जताई आशंका
जागरण संवाददाता, मथुरा: नगर निगम कैबिनेट बुधवार को निर्माण और जलकल विभाग पर जमकर बरसी। समय पर प्रस्तावित कार्यों का पूरा न कराने पर अधिकारियों की खिचाई का कोई मौका सदस्यों ने न छोड़ा। ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया। पौधारोपण और कुटेशन पर के कराए कार्यों में गड़बड़ी की आशंका व्यक्त करते हुए उनकी जांच कराने की मांग उठाई। नगर आयुक्त ने दोनों विभाग के अधिकारियों को मंच से फटकार लगाई और कार्यशैली में सुधार न लाने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी।
महापौर डा. मुकेश आर्य बंधु की अध्यक्षता में जलकल कंपाउंड में हुई नगर निगम कैबिनेट की बैठक में पार्षद नीलम गोयल ने घीया मंडी मार्ग का निर्माण कार्य पूरा किए बिना ठेकेदार का भुगतान कर देने का मामला सदन में जोरदार ढंग से उठाया। यहीं से पार्षदों का दर्द झलक उठा। पार्षद तिलक वीर सिंह ने ठेकेदारों, जलकल और निर्माण विभाग के अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया और पार्षदों के वार्ड में कार्य कराने का उनसे सहमति पत्र नहीं लिए जाने की जानकारी सदन में दी। एक लाख रुपये से कम के कार्य कुटेशन पर कराए जा रहे हैं। इसका सहमति पत्र पार्षदों से नहीं लिया जा रहा है। इसका सभी सदस्यों ने समर्थन किया। साथ ही एक कमेटी गठित कर इसकी जांच कराने की मांग भी सदन से की। नगर आयुक्त अनुनय झा ने अधिकारियों को फटकार लगाई। इससे पहले पार्षद राजवीर सिंह ने खुले नाले के दोनों तरफ फेंसिग कराने की मांग रखी। पार्षद रश्मि शर्मा कहा, लाखों रुपये खर्च हो गए, पर कैबिनेट के सदस्यों के वार्ड में पौधे नहीं लगे। टेंडर न उठाने का कारण अधिकारियों ने रेट बताए, मगर इन्हीं रेट पर दूसरे नगर निगमों में कार्य होने का उदाहरण पेश करते हुए नगर आयुक्त ने अधिकारियों से जवाब मांगा तो सफाई देते नजर आए। नगर आयुक्त ने दो टूक कहा, जो कार्य जुलाई में पूरे होने थे, वह सितंबर तक पूरे नहीं हो सकते। इससे बड़ी लापरवाही क्या होगी। उन्होंने चेतावनी दी, कार्यशैली में सुधार न किया तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित है। पार्षद मीरा मित्तल ने भी विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली को भी संदेह के घेरे में खड़ा किया। बैठक में सहायक नगर आयुक्त राजकुमार मित्तल, लेखाधिकारी गीता कुमार, पार्षद उमेश भारद्वाज, गोविद सिंह आदि मौजूद रहे। -नगर निगम कैबिनेट की बैठक में जो भी प्रस्ताव रखे। सभी को पास कर दिया गया। इनमें विकास कार्य, मार्ग और पार्कों के नामकरण के प्रस्ताव शामिल थे। 53 स्थानों का नामकरण महापुरुषों के नाम पर किया गया है।
-डा. मुकेश आर्यबंधु, महापौर -सदन में जो भी शिकायत हुई हैं। उनको गंभीरता से लिया जाएगा। कुटेशन के कार्यों की सूची निर्माण विभाग से मांगी गई है। सफाई कर्मचारियों की अनुपस्थिति की जो शिकायत मिली, उसकी भी जांच कराई जाएगी।
-अनुनय झा, नगर आयुक्त कैबिनेट बैठक में हंगामा, महापौर पर लगाए आरोप
जागरण संवाददाता, मथुरा: नगर निगम की कैबिनेट की बैठक में बुधवार को एक दुकानदार ने अपने स्वजन के साथ हंगामा किया। महापौर पर दुकान को नाम करने के लिए 20 लाख रुपये का मांगने और 15 लाख रुपये लेकर दुकान खाली करने का दबाव बनाए जाने आरोप लगाया। महापौर ने नियमानुसार ही दुकान का नामांतरण की कार्रवाई किए जाने की बात कहते हुए दुकानदार के आरोपों को बेबुनियाद बताया। जलकल कंपाउंड में नगर निगम की कैबिनेट की मीटिग की कार्रवाई की शुरुआत में ही अंतापाड़ा निवासी लखमीचंद अपने स्वजन के साथ सदन में आ गए। उनके साथ बच्चे और महिलाएं भी थीं। सभी मंच के सामने पहुंच हंगामा करने लगे। लखमीचंद का कहना था, संजय मार्केट के सामने दुकान नंबर-8 में 1962 से जूता-चप्पल की दुकान करते हैं। नगर पालिका के कई नोटिस उन्हें मिले। किराया भी वह जमा कर रहे हैं। इसकी रसीद भी है। लखमीचंद का आरोप था, मेरी दुकान को अब महापौर एक ज्वैलर्स को देना चाहते हैं। इसके लिए महापौर उन्हें अपने कार्यालय में छह बार बुला चुके हैं। उनसे दुकान नाम करने के एवज में 20 लाख रुपये की मांग की थी। रुपये देने से इंकार कर दिया तो महापौर ने मेरे सामने 15 लाख रुपये लेकर दुकान खाली कराने का प्रस्ताव रखा था। अब दो-तीन दिन पहले उनकी दुकान की लिखापढ़ी एक ज्वैलर्स के नाम कर दी गई है। लखमीचंद ने बताया, एक बार योजना आई थी, बीस फीसद धनराशि देकर दुकान को अपने नाम कराया जा सकता है। इसके तहत उन्होंने नगर निगम के खाते 2.52 लाख रुपये भी जमा कर दिए। उन्होंने महापौर पर जबरन दुकान खाली कराने की धमकी देने का भी आरोप लगाया। महापौर ने आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया।