Move to Jagran APP

चतु: संप्रदाय करेगा शाही स्नान की अगुवाई

16 फरवरी को ध्वज स्थापना के साथ ही आयोजन शुरू हो जाएगा सबसे पहले हनुमानजी करेंगे हर स्नान

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 05:31 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 05:31 AM (IST)
चतु: संप्रदाय करेगा शाही स्नान की अगुवाई
चतु: संप्रदाय करेगा शाही स्नान की अगुवाई

संवाद सहयोगी, वृंदावन: संतों ने कुंभ मेला की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। 16 फरवरी को ध्वज स्थापना के साथ ही कुंभ शुरू हो जाएगा। तीनों शाही स्नान की तिथि पर हनुमान जी को सबसे पहले स्नान कराया जाएगा, इसके बाद चतु: संप्रदाय के मंहत स्नान की अगुवाई करेंगे। इसके बाद ही दूसरे अखाड़े, आश्रम, संप्रदायों के संत-महंत और श्रद्धालु यमुना में स्नान कर शाही स्नान का पुण्य प्राप्त करेंगे।

loksabha election banner

शाही स्नान में ये होगी व्यवस्था

- पहला शाही स्नान: हनुमानजी और चतु:संप्रदाय महंत के बाद निर्वाणी अनि अखाड़े के महंत यमुना स्नान करेंगे।

-दूसरा शाही स्नान: हनुमानजी और चतु:संप्रदाय महंत के बाद निर्मोही अनि अखाड़े के महंत स्नान करेंगे।

-तीसरा शाही स्नान: हनुमानजी और चतु:संप्रदाय महंत के बाद तीनों अनि अखाड़ों में जो पहले पहुंचेगा, उस अनि अखाड़े के महंत करेंगे स्नान।

-पहले और दूसरे शाही स्नान के दौरान दिगंबर अनि अखाड़ा दोनों अन्य अखाड़ों के बीच में यमुना स्नान करेगा। ये हैं चारों संप्रदायों के श्रीमहंत

चतु:संप्रदाय के महंत फूलडोल बिहारीदास ने बताया कि रामानुज संप्रदाय के महंत बर्फानी बाबा थे, जिनका दस दिन पहले देह शांत हो गया। निर्मोही में विष्णु स्वामी के महंत रामलखन दास महाराज थे, इनका एक महीने पहले देहांत हो गया। श्रीनिम्बार्क संप्रदाय से वृंदावन में रासबिहारीदास महाराज हैं। ब्रह्माजी परिषद संप्रदाय के महंत वे खुद (फूलडोल बिहारीदास) हैं। कुंभ में चयन प्रस्तावित

रामानुज और विष्णु स्वामी संप्रदाय के श्रीमहंतों का चयन वृंदावन और हरिद्वार कुंभ में होना प्रस्तावित है। विष्णु स्वामी और रामानुज संप्रदाय के श्रीमहंतों की गैर मौजूदगी में अखाड़ा के संत शाही स्नान के दौरान अगुवाई करेंगे। ये हैं तीन अनि अखाड़े

वैष्णवों में भी मूलत: बैरागी संप्रदाय के तीन अखाड़े हैं। श्रीदिगम्बर अनि अखाड़ा, श्रीनिर्वाणी अनि अखाड़ा और श्री निर्मोही अनि अखाड़ा। अनि अखाड़ों का काम सेना की तरह-

स्वामी रामदेवानंद सरस्वती बताते हैं कि चारों संप्रदायों के तहत तीन अनि अखाड़े शामिल हैं। अनि अखाड़ों का काम एक तरह से अखाड़ा की सेना के रूप में होता है। दिगंबर अनि अखाड़े के श्रीमहंत कृष्णदास, निर्वाणी अनि अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास महाराज और निर्मोही अनि अखाड़े के श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज हैं। ये होंगे शाही स्नान

-27 फरवरी: माघी पूर्णिमा

-9 मार्च: फाल्गुन एकादशी

-13 मार्च: फाल्गुन अमावस


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.