बारिश के पानी में डूबी फसल का किया सर्वे
बीमा कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी नहर-बंबा की पटरियों पर घूमकर सर्वे तो किया, लेकिन किसानों से संपर्क नहीं किया है।
जागरण संवाददाता, मथुरा: बीमा कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी नहर-बंबा की पटरियों पर घूमकर बरसाती पानी में डूबी खरीफ की फसलों का सर्वे कर रहे हैं। किसानों से कोई संपर्क नहीं किया जा रहा है। पीड़ित किसानों ने इसकी शिकायत कृषि विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों से की है। इधर, कृषि विभाग ने अब तक पचास फीसद रकबा के सर्वे का काम कर लिया है।
जुलाई के अंतिम सप्ताह में चार दिन लगातार हुई मूसलाधार वर्षा से खरीफ की मुख्य फसल धान और बाजरा के पौधे पानी डूब में गए हैं। उरद और चारे की फसल नष्ट हो गई है। फसलों में नुकसान होने की जानकारी किसानों ने बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर दे दी है। जानकारी मिलने के बाद भी बीमा कंपनी के अधिकारी खेतों की मेड़ पर जाकर किसानों से कोई संपर्क नहीं कर रहे हैं।
गांव ककरेटिया के किसान केएल वर्मा ने बताया कि बीमा कंपनी अधिकारी आए थे। किसान फसलों के नुकसान की जानकारी देने पहुंचे, तब तक बीमा कंपनी के अधिकारी चले गए। गांव कारब के किसान ओमप्रकाश ¨सह ने बताया कि अभी तक इलाके में बीमा कंपनी का कोई भी अधिकारी सर्वे करने नहीं आया है। पचास बीघा से अधिक सब्जी की फसल डूब गई। उद्यान विभाग के अधिकारियों को नुकसान से अवगत करा दिया गया। शासन स्तर से कोई आदेश न होने की बात कहकर उद्यान विभाग ने सर्वे करने से साफ इन्कार कर दिया।
उपकृषि निदेशक धुरेंद्र ¨सह ने बताया कि खरीफ में बोई गई धान, बाजरा और तिलहन की फसलों के डूबने से होने वाले नुकसान का आकलन किया जा रहा है। अभी तक पचास फीसद रकबा का सर्वे कार्य पूरा कर लिया गया है। बीमा कंपनी के अधिकारियों से भी सर्वे कराया जा रहा है।
मुआवजे के आए 22 करोड़:
-उपकृषि निदेशक धुरेंद्र ¨सह ने बताया कि रबी में ओलावृष्टि से गेहूं की फसल नष्ट हो गई थी। फसलों में हुई क्षति की पूर्ति के लिए सरकार ने करीब 22 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। तेरह हजार चौरासी किसानों के बैंक खातों में मुआवजे की धनराशि ट्रांसफर कर दी गई है। किसान अपने बैंक खातों का स्टेट्स देख सकते हैं।