सजने लगे यमुना के घाट, जल नहीं डुबकी लायक
सतह पर दिखाई दे रही काई की परत बह कर आ रहा पॉलीथिन और कचरा कोट स्केप हरनौल और ओखला बैराज से छोड़ा गया 2800 क्यूसिक पानी
मथुरा, जासं। यमुना छठ का पर्व 11 अप्रैल को मनाया जाएगा। इसके लिए यमुना का विश्राम घाट सजने लगा है, लेकिन पूजा अर्चना करके लोग स्नान करेंगे, वहां पानी डुबकी लगाने के लायक नहीं है। जल की सतह पर काई और कचरा बह कर आ रहा है। माझी के चप्पू चलाने के साथ ही नाले जैसा पानी हो रहा है।
यमुना का जन्मोत्सव महापर्व में शामिल होने के लिए गैर जिलों से श्रद्धालुओं आने लगे हैं। 11 अप्रैल को श्रद्धा और आस्था में डूबे भक्त सूर्य का अर्घ्य देकर यमुना में डुबकी लगाएंगे। विश्राम घाट पर तैयारियां प्रारंभ कर दी है।
यमुना मंदिर के पुजारी गजानंद जीवनलाल चतुर्वेदी ने बताया कि दोपहर 12 बजे पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। शाम को फूल बंगला सजाया जाएगा। पानी की सतह के ऊपर काई ही काई नजर आ रही है। पॉलीथिन, कचरा बहकर आ रहा है। 2800 क्यूसिक छोड़ा पानी: ओखला बैराज 2100 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि 150 क्यूसिक गंगाजल हरनौल स्केप से लगातार यमुना में आ रहा है। इसके अलावा 550 क्यूसिक गंगा जल कोट स्केप रविवार को छोड़ा गया है। जो यमुना छठ तक आ जाएगा। इधर, सिचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पानी बढ़ने के साथ तली में जमी सिल्ट ऊपर आ गई है। यमुना का पानी स्वच्छ होना चाहिए। इससे श्रद्धालुओं को स्नान और आचमन करने में कोई दिक्कत न हो, मगर अभी तक पानी में कोई सुधार नहीं आ रहा है।
गजानंद जीवनलाल चतुर्वेदी लाखों श्रद्धालु यमुना स्नान करने के लिए आते हैं। छठ पर भी बड़ी तादाद में लोग स्नान करने के लिए आएंगे। यमुना जल के दूषित होने की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचती है। अशोक कुमार अग्रवाल यमुना शुद्धिकरण के नाम पर अफसर और नेता हो हल्ला कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि धरातल पर इसके लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि यमुना जल दूषित बना हुआ है।
बालकृष्ण चतुर्वेदी जब कभी यमुना में गंदगी बढ़ती है, तब हम उसको अपनी नाव में भर कर बाहर करते हैं। आज जिस तरह से यमुना में काई और गंदगी नजर आ रही है, कभी तो इससे अधिक हो जाती है।
खेम सिंह