शिक्षकों के हौसले ने कर दी राह आसान
जज्बे और जुनून से शिक्षकों ने बदली स्कूल की दशा रिटायर्ड होने के बाद भी बिना मानदेय पढ़ा रहे बचे
जेएनएन, मथुरा: शिक्षकों का हौसला था कि परिस्थिति को छात्र-छात्राओं की शिक्षा के आड़े नहीं आने दिया। महात्मा गांधी स्मारक इंटर कॉलेज सौंख में एक शिक्षक सेवानिवृत्त होने के बाद भी 13 वर्ष से पढ़ा रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय नरहौली प्रथम की प्रधानाध्यापिका ने खंडहर विद्यालय को उत्कृष्ट विद्यालय की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। खंडहर विद्यालय को बना दिया उत्कृष्ट विद्यालय
संसू, नरहौली: मन में छात्र-छात्राओं को बेहतरीन शिक्षा देने का सपना। इस जज्बे ने खंडहर विद्यालय को भी उत्कृष्ट श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। प्रधानाध्यापिका की कोशिश से मांटेसरी स्कूल के बच्चे भी सरकारी स्कूल में पढ़ने आने लगे हैं।
सुशीला चौधरी प्राथमिक विद्यालय नरहौली प्रथम की वर्ष 2009 में प्रधानाध्यापिका बनकर आईं। तब विद्यालय का भवन करीब चार फीट नीचे था। इससे बारिश में जलभराव हो जाता था। बैठने के लिए फर्नीचर तक नहीं था। सुशीला ने विद्यालय की इमारत सही कराने की ठानी। सरकार और समाजसेवियों की सहायता से विद्यालय के भवन को वर्ष 2011-12 में सही कराया। विद्यालय में चार फीट तक मिट्टी का भराव भी कराया। इसके बाद विद्यालय के कमरों में पेंटिग कराई और पढ़ाने के लिए नवाचार का प्रयोग शुरू किया। फर्नीचर और पंखे की व्यवस्था की। ऊर्जा मंत्री ने विद्यालय में आरओ प्लांट लगवा दिया। छात्र-छात्राओं के लिए कूड़ेदान की भी व्यवस्था की गई। खंडहर विद्यालय उत्कृष्ट विद्यालयों की श्रेणी में आ गया। प्रधानाध्यापिका सुशीला चौधरी कहती हैं कि यदि मन में कुछ करने का जज्बा है, तो कोई भी मुश्किल बाधा नहीं बन सकती है।
रिटायर्ड हैं, लेकिन 71 वर्ष में टायर्ड नहीं
संसू, सौंख: मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। इन पंक्तियों को सही मायने में जी रहे हैं सौंख के 71 वर्षीय शिक्षक मंगीलाल वर्मा। सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन थके नहीं। 13 वर्ष से बिना किसी मानदेय के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। मंगीलाल वर्मा की नियुक्ति वर्ष 1966 में महात्मा गांधी स्मारक इंटर कॉलेज में संस्कृत के जूनियर अध्यापक के रूप में हुई थी। वह पदोन्नत होकर लेक्चरर पद पर पहुंच गए। वर्ष 2006 में रिटायर हुए। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद स्थानीय इंटर कॉलेज में आयोग द्वारा संस्कृत अध्यापक की नियुक्ति न होने पर विद्यालय प्रबंधतंत्र ने उनको याद किया। मंगीलाल वर्मा अवैतनिक शिक्षा देने को राजी हो गए। तब से नियमित कक्षा 11 और 12 के विद्यार्थियों को शिक्षा दे रहे हैं। विद्यालय के अन्य अध्यापकों के लिए भी वह एक मिसाल हैं। मंगीलाल वर्मा ने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षा का पुनीत कार्य करके मन को सुकून मिलता है। विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक सत्यवीर सिंह बताते हैं कि पद पर रहते हुए भी मंगीलाल वर्मा ने बेहतर कार्यशैली रखी।