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देश में ब्रजभाषा को लोकप्रिय बनाने वाला अकेला चितेरा

जागरण संवाददाता, मथुरा: संदीपन चाहते तो बालीवुड में ही रम गए होते। प्रख्यात साहित्यकार अमृ़त

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Aug 2017 12:10 AM (IST)Updated: Tue, 15 Aug 2017 12:10 AM (IST)
देश में ब्रजभाषा को लोकप्रिय बनाने वाला अकेला चितेरा
देश में ब्रजभाषा को लोकप्रिय बनाने वाला अकेला चितेरा

जागरण संवाददाता, मथुरा: संदीपन चाहते तो बालीवुड में ही रम गए होते। प्रख्यात साहित्यकार अमृ़त लाल नागर के धेवते और प्रख्यात फिल्म लेखिका डा. अचला नागर के सुपुत्र संदीपन विमल कांत नागर भगवान श्री कृष्ण, ब्रजभूमि और ब्रजभाषा के प्रति आध्यात्मिक रूप से इतने लीन हो चुके हैं कि 'लांग' पार नहीं करना चाहते। ब्रज संस्कृति और इससे जुड़े सांस्कृतिक मूल्यों के लिए वह देश के हर मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करने के साथ लोहा भी मनवा चुके हैं।

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सन 77 में जब इंदिरा विरोधी लहर अपने चरम पर रही, तब उन्होंने अंधेर नगरी चौपट राजा निर्देशित किया, लेकिन उन्हें अपने काम से संतुष्टि नहीं मिली, सो सीखने के लिए लखनऊ, दिल्ली और मुंबई चले गए। नादिरा जहीर बब्बर, अनुपम खेर, राबिन दास, डा. ब्रज बल्लभ मिश्र, श्याम शर्मा, डा. अचला नागर, सतीश कौशिक के साथ काम करके काफी सीखा और सन 83 में फिर मथुरा लौटे।

इत्तिफाक से यहां आकर उन्होंने श्री लाल शुक्ल के नाटक 'राग दरबारी' को निर्देशित करना शुरू किया, लेकिन नए कलाकारों ने उनके जीवन की धारा बदल दी। अभिनय की रिहर्सल कर रहे कलाकार 'स'और 'श'का उच्चारण ठीक से नहीं कर पा रहे थे। यह उनके लिए माथे का दर्द हो गया तो उन्होंने नया तरीका निकाला और इसे ब्रज भाषा में निर्देशित कर दिया।

नई दिल्ली में'राग दरबारी'नाटक किया तो तब के प्रख्यात आलोचक और पत्रकार जयदेव तनेजा ने कहा कि नाटक तो खास नहीं था, लेकिन ब्रज भाषा का यह पहला नाटक है और तुम ब्रज भाषा में ही आगे बढ़ना।

यहां उन्हें डा. ब्रज बल्लभ मिश्र और मोहन स्वरूप भाटिया का मार्गदर्शन मिला और उन्होंने अब तक वह कर दिया है, जो मील का पत्थर हो गया है।

'चरण दास चोर','घासीराम कोतवाल','ताजमहल का टेंडर','एक लोक कथा','फानूस','जात न पूछौ साधु की','पगला घोड़ा'जैसे लोकप्रिय नाटक उन्होंने ब्रजभाषा में करके भारी ख्याति अर्जित कर ली। सन 97 में भाऊराव देवरस न्यास ने अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में उन्हें प्रताप नारायण मिश्र सम्मान दिया तो उप्र संगीत नाटक अकादमी ने सन 2000 में उन्हें सबसे कम आयु के अभिनेता के तौर पर सम्मानित किया। वह 2010 में कामनवेल्थ के लिए 'अमर ¨सह राठौर' नौटंकी भी ब्रजभाषा में निर्देशित कर चुके हैं तो इन दिनों देश भर में 'सपनन कौ मर जानौ' नाटक के शो कर रहे हैं। ब्रजभाषा के नाटक उन्होंने भोपाल, इलाहाबाद, पंजाब आदि जगह भी लोकप्रिय कर दिए हैं। उन्हें पता है कि गुरुवाणी में 40 फीसद शब्द ब्रजभाषा के हैं।

संदीपन विमल कांत नागर अब तक अभिनेता बतौर 40 और निर्देशक बतौर 25 नाटक कर चुके हैं। एक दर्जन फिल्में की हैं। पहली ब्रजभाषा की फिल्म 'ब्रजभूमि', आखिरी ब्रजभाषा की फिल्म 'ब्रज कौ बिरजू' में अभिनेता व सहायक निर्देशक काम करने समेत दस फिल्में और 8 नाटक रूपांतरित कर चुके हैं। 'पान ¨सह तोमर','लंगड़ा राजकुमार', में भी अभिनय किया है और अब निर्देशक संजय मिश्रा का फिल्म कर रहे हैं लेकिन लगाव ब्रजभूमि और कान्हा से ही है। कहते हैं, जो आनंद यहां है, कहीं नहीं है, तमन्ना इतनी ही है कि ब्रजभाषा का फिर से देश में डंका बजे।


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