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Mathura News: कोर्ट में हुई श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में सुनवाई, जानें दोनों पक्षों की दलीले

गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में 10 वादों पर सुनवाई हुई। पवन शास्त्री और दिनेश शर्मा के वाद में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने प्रार्थना पत्र देकर कहा है कि ये वाद चलने योग्य नहीं है इसलिए इसे खारिज कर दिया जाए।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyPublished: Thu, 25 May 2023 04:53 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2023 04:53 PM (IST)
कोर्ट में हुई श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में सुनवाई, जानें दोनों पक्षों की दलीले

जागरण संवाददाता, मथुरा: गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में 10 वादों पर सुनवाई हुई। पवन शास्त्री और दिनेश शर्मा के वाद में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने प्रार्थना पत्र देकर कहा है कि ये वाद चलने योग्य नहीं है, इसलिए इसे खारिज कर दिया जाए।

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इस पर वादी पक्ष ने आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। इस पर अगली तिथि 12 जुलाई नियत की गई। हरिशंकर जैन के वाद में अभी वादी पक्ष को नोटिस नहीं मिले हैं, इस पर न्यायालय ने नोटिस सुनिश्चित कराने को कहा। हरिशंकर जैन ने न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र देकर सभी वादों को एक करने की मांग की, इस पर न्यायालय ने इस पर सभी से आपत्ति मांगी है।

12 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

रंजना अग्निहोत्री के वाद में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने प्रार्थना पत्र देकर कहा है कि ये वाद सुनवाई योग्य नहीं है। दोनों मामलों में 12 जुलाई की अगली तिथि तय की गई है। उधर, महेंद्र प्रताप सिंह के वाद में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुनवाई में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ये वाद लिमिटेशन एक्ट और पूजा स्थल अधिनियम से बाधित है, इसलिए ये वाद चलने योग्य ही नहीं है।

इस पर अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। लखनऊ निवासी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह के उपस्थित न होने पर उनके वाद पर सुनवाई नहीं हो सकी, इसमें 2 जुलाई की तिथि नियत की गई है। अखिल भारत हिंदू महासभा के अनिल त्रिपाठी और मनीष यादव के वाद पर भी 12 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए नियत हुई।

पक्षकार बनने को दिया प्रार्थना पत्र

अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा आगरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाए गए श्रीविग्रह निकालने की मांग को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में दायर वाद में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी पक्ष ने खुद को पक्षकार बनाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। इस पर वादी पक्ष ने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा। न्यायालय ने छह जुलाई की तिथि नियत की।


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