Move to Jagran APP

मां ! देखो, मुझे नया परिवार मिल गया

बिन मां की बची की मनी छठी माथे पर सजा टीका आंखों में काजलवात्सल्य ग्राम में मां दुर्गा के रूप कात्ययानी का नाम मिला

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 06:10 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 06:10 AM (IST)
मां ! देखो, मुझे नया परिवार मिल गया
मां ! देखो, मुझे नया परिवार मिल गया

विनीत मिश्र, मथुरा : मां, मैं आज खुश हूं, बहुत खुश। मां अब मुझे वो मिल गए हैं, जिन्हें मैं अपना कह सकूं। जन्म देते ही आप तो चली गईं। बिना यह सोचे कि मेरा क्या होगा। तुम्हारे बिना जी भी सकूं या नहीं। मगर, पालनहार को कुछ और ही मंजूर था। आज मेरे माथे पर जब टीका सजा और आंखों में काजल लगा, तो यकीन मानों मैं अपने सारे गम भूल गई।

loksabha election banner

मां, 22 अक्टूबर की वह काली रात मुझे जीवन भर याद रहेगी। अस्पताल का वह कमरा, चारों ओर अनजान चेहरे। हर पल आपकी राह निहारती निपट अकेली मैं। हर पल तुम्हारी राह निहारती, लेकिन तुम न आईं। सरकारी सिस्टम मुझे कब तक अस्पताल में रखता। अब मेरा ठिकाना वृंदावन धाम का वात्सल्य ग्राम है। आज जब मां ऋतंभरा ने मुझे टीका किया तो मेरी खुशी का पारावार नहीं रहा। उस वक्त खुशी मेरी आंखों से बही। अस्पताल में मुझे गुड़िया नाम मिला। आज विधिवत नामकरण हो गया। मां तुम जिस दिन छोड़ गईं वह मां भगवती के छठे स्वरूप कात्यायनी का दिन था। मुझे भी यही नाम मिला है। मेरी छठी पर हलवा पूड़ी बनी और गीत गाए गए। मां तुम जहां भी हो, मेरे लिए अब परेशान न होना। बंशी वाले ने मुझे जो परिवार दिया है, उसमें हर रिश्ता है। मां हैं, नानी हैं, मौसी हैं, बहनें और भाई हैं। रिश्तों के अहसास हैं। बस ठाकुर जी से यही कामना है, तुम जहां भी रहो, खुश रहो।

तुम्हारी, अपनी कात्यायनी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.