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ब्रज की पांडुलिपियों से रूबरू होगी दुनिया

जासं, वृंदावन (मथुरा): ब्रज की प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण में जुटा वृंदावन शोध संस्थान अब

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Mar 2018 11:38 PM (IST)Updated: Sun, 11 Mar 2018 11:38 PM (IST)
ब्रज की पांडुलिपियों से रूबरू होगी दुनिया

जासं, वृंदावन (मथुरा): ब्रज की प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण में जुटा वृंदावन शोध संस्थान अब श्रीमद्भागवत गीता शोध पीठ के जरिए गीता के व्याख्यान, संगोष्ठी, शोध प्रकाशन को अब डिजिटलाइजेशन के जरिए दुनिया के सामने रखेगा। इसके अलावा ब्रज लोक संस्कृति के दुर्लभ और अप्रसारित संदर्भों को भी संस्थान देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के समक्ष प्रस्तुत करने की तैयारी में जुटा है।

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संस्थान के अध्यक्ष आरडी पालीवाल ने सोमवार को पत्रकार वार्ता में संस्थान की शासी परिषद की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान में तीस हजार से अधिक पांडुलिपियों का डिजिटिलाइजेशन हो चुका है। मगर, अब उन्हें क्लाउड में डिजिटिलाइजेशन कर मूलग्रंथों को दुनियाभर के शोधार्थियों के लिए जारी करेंगे ताकि ब्रज संस्कृति का विस्तारीकरण भी हो सके।

नेट पर इन पांडुलिपियों का पूरी तरह प्रसार नहीं किया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि लोगों का जुड़ाव संस्थान से बना रहे। संस्थान परिसर का भी आधुनिकीकरण कर वृंदावन के मूल स्वरूप का दर्शन श्रद्धालुओं को करवाने की तैयारी की जा रही है। इसमें श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन दर्शाया जाएगा। दर्शक गैलरी को भी अति आधुनिक बनाया जाएगा। इसमें प्रदर्शित ब्रज से जुड़ी लीलाओं और मंदिर, देवालयों के बारे में दर्शकों को ईयर फोन पर पूरी जानकारी मुहैया करवाने की तैयारी है। संस्थान में ग्रंथों का विक्रय केंद्र स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा ब्रज की नौटंकी कला, गीता के अंश जैसे प्रकल्पों को भी सार्वजनिक किया जाएगा।

पालीवाल ने बताया कि संस्थान की ओर से सीनियर शोधवृत्ति के प्रस्ताव यूजीसी और आइसीएचआर को भेजे जाने के साथ संस्थान में ब्रज संस्कृति से संबंधित विद्वानों को भी जोड़ने का सुझाव बैठक में सदस्यों ने दिया। संस्थान की विकास योजनाओं में ब्रज संस्कृति संग्रहालय का विस्तार, मुक्ताकाशीय रंगमंच के निर्माण में प्रगति पर भी चर्चा हुई।

उन्होंने कहा कि गीता शोध पीठ के अंतर्गत उच्चस्तरीय शोध सेमिनार के अलावा ब्रज लोक संस्कृति के दुर्लभ और अप्रसारित संदर्भों पर भी सर्वेक्षण कार्य होगा। इसके लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। 12 से 14 मार्च तक लखनऊ में इस रिपोर्ट पर संस्थान के शासी परिषद सदस्य राधाकृष्ण पाठक व निदेशक सतीशचंद्र दीक्षित के साथ प्रदेश के संस्कृति मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण की बैठक में निर्णय लिए जाएंगे। शासी परिषद की बैठक में जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र, पद्मश्री मोहनस्वरूप भाटिया, आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी, राधाकृष्ण पाठक, आदित्य चौधरी, राष्ट्रीय अभिलेखागार के सहायक निदेशक रामस्वरूप, राजकीय संग्रहालय के सहायक निदेशक डॉ. एसपी ¨सह, एफसीए मनोहरलाल चतुर्वेदी, संस्कृति मंत्रालय के निजी अवर सचिव एसके शर्मा, संस्थान सचिव सुशीला गुप्ता व निदेशक सतीशचंद्र दीक्षित मौजूद रहे।


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