भगवान से मिले भक्त तो आंखों से बह गईं खुशियां
77 दिन बाद भक्त और ठाकुरजी का मिलन हो रहा था। इस अछ्वूत क्षण में श्रद्धालु अपलक ठाकुरजी को निहार रहे थे। आस्था की थाह नहीं थी। मंदिर प्रांगण में श्रद्धा का ज्वार उमड़ रहा था। भावनाओं की लहरों में श्रद्धालु सुधबुध खोए थे। ठाकुरजी के दर्शन हुए तो अपने को धन्य मान रहे थे। ठाकुरजी के जयघोष से श्रद्धा की अविरल धारा बह निकली।
मथुरा, जागरण संवाददाता : ये भक्त और भगवान का मिलन था। 77 दिन की दूरी बिना आराध्य के कैसे काटी, ये कान्हा के भक्तों से अधिक भला कौन बता सकता है। सुबह घर पर नाम जपते और प्रभु से कामना करते कि जल्द द्वार खुलें और साक्षात द्वारिकाधीश दर्शन दें। द्वारिकाधीश भी अपने भक्तों के बिना कहां रहने वाले थे। आखिर 77 दिनों के बाद बुधवार को मंदिर के पट खुले, तो आंखें दर्शन को व्याकुल हो गईं। पट खुलने के एक घंटे पहले से ही श्रद्धालु लाइन में लग गए। ..और जब प्रभु की छवि सामने आईं, तो सूनी आंखों में खुशियां पानी बनकर उभर आईं। द्वारिकाधीश मंदिर में भक्त और भगवान का मिलन कुछ ऐसा ही था।
कोरोना काल में द्वारिकाधीश मंदिर बुधवार को पहले दिन खुला। जाहिर है, इतने दिनों तक भक्त बिना भगवान के दर्शन के थे। द्वारिकाधीश मंदिर में बड़ी संख्या में वह श्रद्धालु जाते हैं, जो सुबह और शाम नियमित मंदिर में हाजिरी लगाते हैं। लेकिन लॉकडाउन में बेबस थे। पल-पल प्रभु से दर्शन देने की गुहार लगा रहे थे। बुधवार को पट खुलने के समय में परिवर्तन किया गया। सुबह मंदिर के पट साढ़े नौ बजे से 11 बजे तक खुले, तो शाम को समय छह बजे से सात बजे तक निर्धारित किया गया। हालांकि अन्य दिनों की अपेक्षा सुरक्षा को ध्यान में रख दर्शन में कुछ बंदिश थीं। लेकिन आराध्य से मिलने को बेताब श्रद्धालुओं को हर बंदिश मंजूर थी। जल्दी से दर्शन मिलें, इसके लिए एक घंटा पहले से कई श्रद्धालु लाइन में लग गए। मंदिर के बाहर लंबी लाइन लगी। पहले श्रद्धालुओं के हाथ सैनिटाइज कराए गए और फिर थर्मल स्क्रीनिग कराकर प्रवेश दिया गया। मंदिर में दर्शन को आठ झांकियां होती हैं। आज केवल दो झांकियों के दर्शन हुए। अब केवल राजभोग और शयन के दर्शन खोले गए। फूल माला और प्रसाद लेकर श्रद्धालुओं के जाने पर पाबंदी थी। पहल बार श्रद्धालु मंदिर के अंदर की परिक्रमा भी नहीं कर सके। मुख्य द्वार से प्रवेश दिया गया और निकास गेट नंबर दो से था। मंदिर के अंदर प्रबंधन तो बाहर पुलिस ने व्यवस्था संभाल रखी थी। 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया। मंदिर के अधिकारी वैध अशोक कुमार शर्मा, मीडिया प्रभारी एड. राकेश तिवारी, बृजेश कुमार, सुधीर कुमार, बलदेव भंडारी, समाधानी बृजेश चतुर्वेदी, बीएन चतुर्वेदी, बनवारी लाल, कन्हैया लाल, जीतू आदि पदाधिकारी और कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा। लॉकडाउन में 50 दिन तक मंदिर के अंदर रहकर सेवा करने वाले कर्मचारियों का भी सम्मान किया गया।