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10 साल में भी शहीद के घर नहीं पहुंच पाई शौर्य चक्र की राशि

शहीद बेटे का स्मृति स्थल बनवाने को 11 साल से दफ्तरों की सीढि़यां चढ़ रहा 78 वर्षीय पिता

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 12:18 AM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 12:18 AM (IST)
10 साल में भी शहीद के घर नहीं पहुंच पाई शौर्य चक्र की राशि
10 साल में भी शहीद के घर नहीं पहुंच पाई शौर्य चक्र की राशि

मथुरा, जासं। कहीं कोई शहीद होता है तो सरकार एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से तत्काल परिवार वालों को मदद करने के बड़े-बड़े आश्वासन दे दिए जाते हैं। हकीकत में कितने वादे पूरे होते हैं और कितने अधूरे रहते, इसका उदाहरण परचूनी की दुकान करने वाले एक 78 वर्षीय पिता के दर्द से समझा जा सकता है। इस उम्र में भी सरकारी दफ्तरों की सीढि़यां चढ़ते-चढ़ते सांस उखड़ जाती हैं, लेकिन बाबू से लेकर अधिकारियों तक को शर्म तक नहीं आती है। प्रशासन की ऐसी बेशर्मी 11 साल से देखी जा रही है।

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कृष्णा नगर क्षेत्र के हरी नगर निवासी सुमेर ¨सह का बड़ा बेटा संतोष कुमार सेना की ग्रेप यूनिट में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (सिविल) के पद पर तैनात पर थे। 13 जून, 2008 को अनंतनाग से सड़क दुरुस्त कराकर यूनिट के लिए अपने पांच साथियों के साथ लौट रहे थे। आतंकियों ने घेर लिया और संतोष कुमार को 12 गोलियां मारी थीं। वीर नारी विनीता ¨सह को सरकार ने करीब साठ लाख रुपये दिए थे। वर्ष 2013 में सुमेर ¨सह को उस समय झटका लगा जब विनीता ¨सह दूसरी शादी करके अजमेर चली गई। हालांकि सरकार ने सुमेर ¨सह और पत्नी रामवती को शहीद का वारिस मानकर 6684 रुपये पेंशन देना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं शहीद संतोष के नाम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मार्च, 2009 में मरणोपरांत शौर्य चक्र दिया था। उसकी धनराशि 50 हजार रुपये आठ अगस्त, 2017 में जाकर जारी कर दी गई, लेकिन डीएम कार्यालय से अभी तक ये धनराशि शहीद के माता-पिता को नहीं मिल सकी है।

सुमेर ¨सह कहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ तक को पत्र लिख चुके हैं। वहां से भी डीएम को भी पत्र लिखे गए हैं, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। इससे पहले नगर पालिका ने 31 अगस्त, 2009 को बोर्ड मी¨टग में हाईवे पर शहीद की स्मृति में द्वार का प्रस्ताव किया था, लेकिन आज तक नहीं बन सका। हरी नगर की सड़क का नाम बदल कर शहीद के नाम पर रखा जाना था, वो भी नहीं हुआ। हमारे यहां नहीं कोई फाइल

78 वर्षीय सुमेर ¨सह सोमवार को नगर निगम पहुंचे। नजूल में बाबू से मिले और शहीद स्मारक की फाइल की जानकारी की। बाबू ने इन्कार कर दिया कि उनके यहां कोई फाइल नहीं है। वह नगर आयुक्त से मिले और दस्तावेज दिखाए। इसमें सेना और अधिकारियों के आदेश थे। नगर आयुक्त समीर वर्मा ने मदद का भरोसा दिलाया तो बाबू ने उनको फिर दो दिन आने की कहकर टाल दिया।


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