द्रोपदी के चरित्र में सिमटा नारियों के जीवन संघर्ष
वृंदावन शोध संस्थान में महाभारतकाल में महिला सशक्तीकरण पर आनलाइन वेबिनार
संवाद सहयोगी, वृंदावन: महाभारतकाल में महिला सशक्तीकरण पर आयोजित आनलाइन बेविनार में डा. नीतू गोस्वामी ने कहा कि द्रौपदी महाभारत की नायिका के रूप में हमारे सामने उपस्थित होती है। द्रौपदी का संपूर्ण जीवन दु:ख और संताप में ही व्यतीत हुआ। उन्होंने धर्म, सत्य, न्याय का दामन नहीं छोड़ा। द्रौपदी के चरित्र को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानों संपूर्ण नारियों का जीवन संघर्ष एक नारी पात्र में समेट दिया गया हो। वृंदावन शोध संस्थान के सभागार में रविवार को आयोजित वेबिनार की शुरूआत ठा. बांकेबिहारी के चित्रपट पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ हुई। डा. सीमा शर्मा ने गांधारी के विषय पर कहा कि उन्होंने समस्त नारी जाति को विपरीत परिस्थिति में संयम और धैर्य का संदेश दिया। वंदनाश्री ने सुभद्रा के विषय में कहा सुभद्रा जैसे अयोध्या में श्रुतिकीर्ति वनवास काल में उर्मिला विरह वियोग में जीती रहती हैं। महाभारत की पात्र नारियों में सुभद्रा कम दिखाई पड़ती हैं। डा. लक्ष्मी गौतम ने महाभारत की पात्र उत्तरा के चरित्र पर कहा कि देवी उत्तरा का प्रसंग अभिमन्यु की वीरगति के बाद एक गर्भस्थ शिशु की रक्षा और पांडव कुल के वंश बीज की रक्षा करने वाली एक करुणामयी मां के रूप में आता है। हर स्त्री का मां के रूप में अपने गर्भस्थ शिशु की रक्षा करना नैतिक कर्तव्यों की श्रेणी में आता है। कार्यक्रम में ममता कुमारी, प्रगति शर्मा, डा. ब्रजभूषण चतुर्वेदी, सतीशचन्द दीक्षित, सुकुमार गोस्वामी, रजत शुक्ला, श्रीकृष्ण गौतम, रेखारानी, रामप्रताप, महेंद्र सिंह, रमेशचंद, अशोक दीक्षित, उमाशंकर पुरोहित, भगवती प्रसाद, जुगल शर्मा आदि मौजूद रहे।