बेटे को बिलखते छोड़ मीलभर दूर गई एक गिलास दूध मांगने
मिथिलेश कुमार फरह (मथुरा) मां-बाप के चेहरे पर अपनी औलाद के लिए कभी थकावट नहीं होती। मध्य प्रदेश के सागर जिले के बागुराम की पत्नी सविता मैली-कुचैली साड़ी के पल्लूृ से अपने एक साल के लाड़ले को रात भर मच्छरों से बचाया। सुबह की भूख से जब कलेजे का टुकड़ा बिलखा तो मां से रहा नहीं गया। वह अपने बेटे की आंख में आंसू कैसे देख सकती थी। हाथ में गिलास थामे अकेले ही एक गिलास दूध की तलाश में गांव रैपुराजाट पहुंच गई। एक किमी की आवाजाही कर दूध की दो बूंद बेटे के गले उतरी तो उसके चेहरे की मुस्कान मां के दर्द को हर ले गई।
मिथिलेश कुमार, फरह (मथुरा) : मां-बाप के चेहरे पर अपनी औलाद के लिए कभी थकावट नहीं होती। मध्य प्रदेश के सागर जिले के बागुराम की पत्नी सविता मैली-कुचैली साड़ी के पल्लूृ से अपने एक साल के लाड़ले को रात भर मच्छरों से बचाया। सुबह की भूख से जब कलेजे का टुकड़ा बिलखा तो मां से रहा नहीं गया। वह अपने बेटे की आंख में आंसू कैसे देख सकती थी। हाथ में गिलास थामे अकेले ही एक गिलास दूध की तलाश में गांव रैपुराजाट पहुंच गई। एक किमी की आवाजाही कर दूध की दो बूंद बेटे के गले उतरी तो उसके चेहरे की मुस्कान मां के दर्द को हर ले गई।
पंजाब के जालंधर शहर से करीब पांच सौ किलोमीटर पैदल चलकर बागुराम के साथ उनकी पत्नी सविता, चार साल की बेटी मोनिका और एक साल का बेटा शिवम के साथ यहां आए। पांव जवाब दे चुके थे और पेट आत्मा से चिपक चुका था। शनिवार रात आगरा बॉर्डर पर पहुंच गए, लेकिन योगी सरकार का आदेश था कि कोई पैदल नहीं जाएगा। बॉर्डर से उनको वापस कर हरदयाल इंजीनियरिग कॉलेज वापस भेज दिया गया। कहा गया कि उनको यहां से बस लेकर जाएगी, मां-बाप की आंखों में चमक लौट आई। रात का अंधेरा घिरा और मच्छरों का हमला बढ़ा। साड़ी से रात भर सविता अपने शिवम को बचाने के लिए मच्छरों से लड़ती रही। सूरज देवता निकले, तो शिवम की भूख भी बढ़ गई। सविता ने आंचल में बहुत छिपाया, पर शिवम भूख से बिलखता रहा। जब कोई रास्ता नहीं सूझा, तो वह बेटी मोनिका की गोद में शिवम को छोड़कर दूध लेने के लिए एक अनजान राह पर चल पड़ी। मोनिका पेड़ की छांव में गोद में लिए शिवम से बार-बार कहती कि भैया चुप हो जा, मां दूध लेने गई है और कुछ ही देर में लौटकर आती होगी। सविता तेज कदमों से करीब छह सौ मीटर चलकर रैपुराजाट पहुंची। किसी का दरवाजा खटखटाया और एक गिलास दूध अपने जिगर के टुकड़े की जिदगी के लिए मांगा। सविता को देख बेटी मोनिका बोली, देख मां तेरे लिए दूध ले आई। दूध की एक-एक बूंद शिवम के गले से नीचे उतरती गई और मां के चेहरे पर मुस्कान बिखरने लगी, पर बेटी की तरफ निहारा तो आंखे भर आई, काश। वह बेटी को भी कुछ दूध की दे पाती।