ब्रजरज के प्रेम में डूबे लालू के बेटे तेज प्रताप
राजनीति के रंग से ज्यादा चटख होता जा रहा राधा कृष्ण के प्रेम का रंग
नवनीत शर्मा, मथुरा: देश के कद्दावर नेताओं में शुमार लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत तेजस्वी ही संभालेंगे। उनके दूसरे बेटे बिहार के पूर्व स्वास्थ मंत्री तेजप्रताप तो ब्रजरज के प्रेम में पड़ राधा-कृष्ण के दीवाने हो चुके हैं। बीते एक वर्ष में वह दर्जनभर से अधिक बार कान्हा की भूमि पर आ चुके हैं। वह चुपचाप आते हैं और सीधे बरसाना पहुंच भक्ति रस में डूबे घूमते रहते हैं।
राजनीति की कूटनीतिक राहों से निकल लालू का यह पुत्र, प्रेम की संकरी डगर पर चल पड़ा है। तेजप्रताप चुनाव लड़ने के बारे में तो कोई साफ बात नहीं करते लेकिन यह कहने से नहीं चूकते कि अब वह राधा-कृष्ण के हो चुके हैं। जन्माष्टमी से कुछ दिन पहले ही आने के बाद तेजप्रताप राधाष्टमी पर फिर दो दिन के लिए बरसाना आए हैं। वह अपनी श्री वृंदावनी फाउंडेशन से ब्रज को संरक्षित करने का इरादा बना चुके हैं। यह संस्था ब्रज के लिए करीब 15 वर्ष से काम कर रही है। पिता जब रेलमंत्री थे, तब पहली बार उनका ब्रज आना हुआ। धीरे-धीरे वह ब्रज की ओर खिंचते गए। वह चुपचाप अपने कुछ चु¨नदा साथियों के साथ आते हैं और वृंदावन के अग्रसेन भवन में रुकते हैं। यहां से अलसुबह ही बरसाना निकल जाते हैं। इस भूमि पर उनका पूरा दिन बीतता है। कभी रमेश बाबा की गोशाला में गायों से लाड़ लड़ाते हैं तो कभी इस्कॉन की गोशाला पहुंच जाते हैं। कहीं खड़े होकर बांसुरी बजाने लगते हैं। अपनी पहचान को दूर रख वह बहुत कम ही बोलते हैं। 'जागरण' से तेजप्रताप ने कहा कि ब्रज बहुत खूबसूरत है। यहां भगवान की लीला स्थलों को संरक्षित किया जाएगा। पटना में भी उन्होंने एक गोशाला बना रखी है और राधाकृष्ण का मंदिर भी है। बरसाना प्रवास पर उनके साथ रहने वाले पूर्व जेल विजिटर लक्ष्मण प्रसाद शर्मा कहते हैं कि ब्रज का ऐसा असर है कि वह यहां आकर राजनीतिक चर्चा नहीं करना चाहते। ब्रज की गलियों में साधु भेष में घूमने वाला लालू का यह बेटा राजनीति को कब अलविदा कह दे, कुछ कहा नहीं जा सकता।