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अदालत के आदेश के बावजूद संरक्षित नहीं हुआ कुंभमेला क्षेत्र

अगले साल 16 फरवरी से 2

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 05:20 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:20 AM (IST)
अदालत के आदेश के बावजूद संरक्षित नहीं हुआ कुंभमेला क्षेत्र
अदालत के आदेश के बावजूद संरक्षित नहीं हुआ कुंभमेला क्षेत्र

संवाद सहयोगी, वृंदावन: अगले साल 16 फरवरी से 28 मार्च तक यमुना किनारे आयोजित होने वाले कुंभमेला क्षेत्र को कब्जा मुक्त करवाकर, चहारदीवारी करवाते हुए इस कुंभमेला क्षेत्र घोषित करना चाहिए। कुंभमेला क्षेत्र को संरक्षित करने का आदेश दस साल पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दिया था। लेकिन जिला प्रशासन ने अब तक उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया। अब कुंभमेला शुरू होने से पहले इस क्षेत्र को संरक्षित कर कुंभमेला क्षेत्र घोषित करना चाहिए।

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सनेहबिहारी मंदिर में शुक्रवार को अभा ब्राह्मण महासभा की बैठक में यह बात राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आचार्य अतुलकृष्ण गोस्वामी ने कही। गोस्वामी ने कहा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1 जुलाई 2010 को आदेश कर प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन से कुंभ मेला भूमि को अतिक्रमण मुक्त करके उस की बाउंड्री वाल करने के आदेश दिए। इस क्षेत्र को कुंभ मेला क्षेत्र घोषित करने के भी निर्देश दिए थे। उच्च न्यायालय के आदेश से वैष्णव संतों के इस कुंभ को देखते हुए प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को उच्च न्यायालय आदेश के अनुपालन में संपूर्ण भूमि को कुंभ मेला क्षेत्र घोषित करके उसे अतिक्रमण मुक्त किया जाना चाहिए। ताकि साधु-संतों के लगने वाले अखाड़ों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो व संपूर्ण धार्मिक महत्वपूर्ण आयोजन अच्छी प्रकार हो सकें। नगर अध्यक्ष रामविलास चतुर्वेदी ने कहा कुंभ पर्व का सीधा संबंध अमृत कलश के साथ है, श्रीमद्भागवत में इसका वर्णन है, प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन वृंदावन के कुंभ को गंभीरता से नहीं लेते हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कुंभमेला भूमि को आरक्षित होने पर हमेशा वहां धार्मिक आयोजन होंगे और प्रशासन को राजस्व मिलेगा। प्रदीप गोस्वामी, जुगल गोस्वामी, रामबाबू शर्मा, अनिल गौतम, मुकेश गौतम, डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, अरविद गोस्वामी, बलराम पंडा, अशोक गोस्वामी, जुगल किशोर कटारे, मोहन बिहारी गोस्वामी, आनंद गोपाल मिश्र, बालो पंडित, दिनेश शर्मा, नीलांबर शर्मा, कृष्ण मुरारी शर्मा मौजूद रहे।


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