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श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास है भूमि का स्वामित्व-कपिल

ईदगाह के स्थान पर पहले भी मंदिर चाहिए था आज भी चाहिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव व सदस्य ने बुलाई प्रेसवार्ता

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 06:54 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 06:54 AM (IST)
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास  है भूमि का स्वामित्व-कपिल
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास है भूमि का स्वामित्व-कपिल

जागरण संवाददाता, मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने गुरुवार को कहा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान से लेकर शाही मस्जिद ईदगाह तक पूरी जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट के ही पास है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ को शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी से समझौते का अधिकार ही नहीं था। उन्होंने कहा कि ठाकुर केशवदेव के मंदिर के ऊपर ही ईदगाह बनाई गई है। हमें पहले भी मंदिर चाहिए था और अब भी मंदिर चाहिए।

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श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर स्थित गेस्ट हाउस में मीडिया से वार्ता करते हुए श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा और सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास ही है। उन्होंने कहा कि 16 मार्च 1815 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने कटरा केशवदेव परिसर को नजूल भूमि के रूप में खुली नीलामी कर राजा पटनीमल को बिक्री की थी। इसे भगवान श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर निर्माण के लिए ऊंची बोली लगाकर खरीदा गया था। पटनीमल का अधिकार हो जाने के 17 वर्ष बाद मस्जिद के खातिब अताउल्ला ने मस्जिद को बिक्री में शामिल किए जाने के ऐतराज भी जताया था। लेकिन उसे मान्य नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम थी। लेकिन शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी से समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान) ने किया था। उनका दावा है कि दोषपूर्ण समझौते के आधार पर 1993 में जिला न्यायालय में मनोहरलाल शर्मा आदि बनान स्वामी वामदेव आदि ने विविध वाद दायर किया था। समझौते में ट्रस्ट की भूमिका न पाए जाने पर निरस्त कर दिया गया था। पहले भी दायर हुए नौ वाद

श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर न्यायालय में फिर वाद दायर किए गए हैं। लेकिन इससे पहले भी 1832 से 1969 तक नौ वाद विभिन्न न्यायालयों में चले। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि इन सभी में संस्थान की जीत हुई। सुबह से अदालत के फैसले पर टिकी रहीं निगाहें

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले को लेकर जिला जज के फैसले पर सभी की निगाहें सुबह से टिकी रहीं। गुरुवार सुबह से ही लोग अदालत में पहुंच गए। अन्य दिनों की अपेक्षा पुलिस बल भी बढ़ाया गया था। महेंद्र प्रताप का वाद सबसे पहले हुआ था दर्ज

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले को लेकर अब तक 11 वाद दायर हो चुके हैं। अदालत में सबसे पहले 25 सितंबर 2020 को रंजना अग्निहोत्री आदि ने वाद दायर किया था, लेकिन उनका वाद दर्ज किए बिना ही खारिज कर दिया गया था। इसके बाद अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ने 23 दिसंबर 2020 को वाद दायर किया। महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उनका वाद सबसे पहले सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दर्ज हुआ था।


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