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गिरिराज की हरीतिमा का बैरी बना विलायती बबूल

झाड़ियां उखाड़ने को करनी होगी गहरी खोदाई, एनजीटी की अनुमति जरूरी

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 11:55 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 11:55 PM (IST)
गिरिराज की हरीतिमा का बैरी बना विलायती बबूल
गिरिराज की हरीतिमा का बैरी बना विलायती बबूल

योगेश जादौन, मथुरा: ग्रंथों में वर्णित गोवर्धन पर्वत की कृष्णकालीन हरीतिमा को फिर से जीवंत करने की राह में विलायती बबूल बैरी बन रहा है। कांटे, गहरी और दूर-दूर तक फैलीं जड़ों वाले इस बबूल की झाड़ियां हटाने में एनजीटी की बंदिश आड़े आ रही है।

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ज्योलीफ्लोरा यानी विलायती बबूल की कटीली झाड़ियों से गोवर्धन पर्वत चारों ओर से घेर लिया है। उत्तर प्रदेश तीर्थ विकास परिषद ने तय किया है कि गोवर्धन पर्वत से मिट चुकी कृष्णकालीन हरियाली को फिर जीवंत किया जाए। इसके लिए देहरादून एफआरआइ (वन अनुसंधान संस्थान) से आई टीम ने पर्वत की संरचना और मिट्टी का अध्ययन कर कदंब, तमाल, खेंजडी के पौधे रोपने की सलाह दी है। मगर, ज्योलीफ्लोरा उसमें रोड़ा बन रही है।

डीएफओ अरविंद कुमार बताते हैं कि ज्योलीफ्लोरा यानि विलायती बबूल में एक खूबी ये है कि वो खराब मिट्टी को ठीक कर देता है। मगर मिट्टी ठीक होने के बाद ज्योलीफ्लोरा को हटाना आसान नहीं होता। कारण, उसकी जड़ें धरती के काफी नीचे दूर-दूर तक फैलती हैं। गहरी खोदाई से ही इनको उखाड़ा जा सकता है।

आम जगह होती तो ये झाड़ियों का नामोनिशान मिट चुका होता। लेकिन, टीटीजेड का दायरा होने के कारण पर्वत से इन झाड़ियों को उखाड़ने के लिए खोदाई की अनुमति लेनी होगी। गोवर्धन पर्वत के आसपास ही नहीं, वृंदावन के भी तमाम इलाके में ज्योलीफ्लोरा सचमुच संकट बन गया है। इसे हटाने के लिए क्रमबद्ध कार्यक्रम की जरूरत होगी। इसके लिए कानून की भी मदद ली जाएगी।''

- नगेंद्र प्रताप ¨सह, सीईओ, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद -कहां-कहां फैला है-

- जिले में 1403 हेक्टेयर रिजर्व फारेस्ट के अधिकांश भाग पर ज्योलीफ्लोरा छाया है।

-परिक्रमा के 21 में से 15 किलोमीटर में ज्योलीफ्लोरा का कब्जा है।

-सुनरख में 119 हेक्टेयर, अहिल्यागंज बांगर के 400 हेक्टेयर रिफाइनरी क्षेत्र के आगे अगनपुरा के बड़े क्षेत्र में सिर्फ ज्योलीफ्लोरा है।


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