बिना सत्संग के जागृत नहीं होता विवेक
जयगुरुदेव मेले का हुआ समापन
मथुरा, जासं: जयगुरुदेव नाम योग साधना मंदिर में चल रहे सत्संग मेले का पांचवे दिन बुधवार को समापन हो गया।
संस्था के राष्ट्रीय उपदेशक बाबूराम प्रवचन दिया कि महात्मा जब आम जनता को जगाने के लिए सत्संग सुनाते हैं, तो वह आम सत्संग कहलाता है। कुछ खास मौकों पर कुछ खास सत्संग सुनाते हैं और कुछ गूढ़ बातों को अपने आस-पास रहने वालों को बताते हैं और साधना के लिए रास्ता देते हैं तो उसे निज सत्संग कहते हैं। अनेक दिनों तक सत्संग सुनने के बाद संशय दूर होता है। 'बिनु सत्संग विवेक न होई' अर्थात बिना सत्संग के विवेक जागृत नहीं होगा। वहीं, साधना में एकाग्रता की आवश्यकता है। साधना के लिए कम खाओ, गम खाओ का सिद्धान्त बाबा जयगुरुदेव ने बताया था।
राष्ट्रीय उपदेशक सतीश चन्द्र ने श्रद्धालुओं से कहा कि अपने सतगुरु की दरगाह में बराबर हाजिरी देते रहना। कुछ भी पता नहीं कि कब मृत्यु आएगी। जन्म मरण का कानून बहुत गुप्त बना रखा है। इस सृष्टि के रचनाकार ने कहा कि आपको इतनी श्वांसों की पूंजी दी जाती है। इसलिए गुरु महाराज की दी हुई परमार्थ की दौलत को कमा कर अपनी जीवात्मा का कल्याण करें।