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कला एवं संस्कृति महोत्सव में कलाविदों ने दिखाया हुनर

कला और संस्कृति महोत्सव में बुधवार को कलाविदों ने कला के हुनर प्रदश्

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 10:54 AM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 10:54 AM (IST)
कला एवं संस्कृति महोत्सव में कलाविदों ने दिखाया हुनर

संवाद सहयोगी, वृंदावन: कला और संस्कृति महोत्सव में बुधवार को कलाविदों ने कला के हुनर प्रदर्शन किया, तो विद्वतजनों ने ब्रज की विलुप्त सांझी कला पर अपने विचार रखे। महोत्सव में पद्मश्री मोहनस्वरूप भाटिया ने कहा, सांझी कला ब्रज की महत्वपूर्ण परंपरा है। इसके विलुप्त होने के कारणों पर हमें गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।

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वृंदावन शोध संस्थान परिसर में वृंदावन शोध संस्थान एवं जयपुर आर्ट समिट द्वारा आयोजित उन्होंने सांझी के कथानक एवं विविधताओं पर प्रकाश डाला। पद्मश्री श्याम शर्मा ने कहा, ब्रज की कलाएं श्रीकृष्ण का स्मरण कराती हैं, हमें भक्ति के समन्वय द्वारा इनसे जुड़ना चाहिए। डा. अमिता खरे ने कहा, सांझी कला प्रभु की उपासना है। यह कला ब्रज की अनुपम धरोहर है। डा. सीमा मोरवाल ने कहा, ब्रज लोक संस्कृति में सांझी के महत्व से अवगत कराया जाना चाहिए। आचार्य विष्णुमोहन नागार्च ने कहा, सभी संस्कृति प्रेमी जनों को सांझी के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। आचार्य सुमित गोस्वामी ने मंदिर परंपरा में सांझी रचना की प्राचीन पद्धति तथा वर्तमान में इसके स्वरूप और संरक्षण की दिशा में विचार व्यक्त किए। डा. अलका पांडे, कलाविद आरबी गौतम ने कहा, ब्रज की कला परंपराएं श्रीकृष्ण का अनुभव कराने वाली हैं। हमें संस्कृति के संरक्षण एवं उन्नयन की दिशा में गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। महोत्सव में अदिति अग्रवाल ने पंख चित्रांकन की प्रस्तुति दी। अमिता चक्रवर्ती द्वारा सींकों के जरिए श्रीकृष्ण की छवि का कलात्मक चित्रण किया। ब्रजवल्लभ उदयवाल ने नील के जरिए से कपड़े पर श्रीकृष्णांकन किया। हरिशंकर वालोठिया ने संस्कृत कैलीग्राफी, अजीत कुमार ने अग्नि कला के जरिए चित्रांकन किया। कार्यक्रम में डा. माधव भट्ट द्वारा रचित श्रीरघुनाथ भट्ट गोस्वामी और उनकी परंपरा शीर्षक ग्रंथ का लोकार्पण अतिथियों ने किया। ग्रंथ की समीक्षा डा. भागवतकृष्ण नांगिया ने की। दिलीप भट्ट, सचिन भट्ट, शैलेंद्र शर्मा एवं मथुरेश भट्ट ने तमाशा शैली का सजीव प्रस्तुतिकरण किया। समापन पर वनस्थली जयपुर के डा. अंकित भट्ट ने सितार वादन किया। संचालन डा. माधवेंद्र भट्ट ने किया। सुमित्रा अहलावत, दुष्यंत कुशवाह, राम सिंह, आराधना गुप्ता, आशीष सिंह, अनामिका कुंदवाल, रसिकानंद, कमलेश्वर शर्मा मौजूद रहे।


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