बा डिब्बा में और निकल आएं तो आनंद आ जाए
एक-एक वोट पर रही प्रत्याशी की नजर वार्ड वार करते रहे समीक्षा
जागरण संवाददाता, मथुरा: हेलो, कौन से वार्ड का डिब्बा खुल गया। अभी तो कलुआ वाले वार्ड का डिब्बा खुला है। कितने मिल गए। डेढ़ सौ। कम रह गए, लाला। कहूं न कहूं गड़बड़ी भई है। बा डिब्बा में ढाई सौ वोट निकल आएं, आए तो आनंद आ जाएंगे। देख, अब तू फोन रख। डिब्बा आ गया। गिनती शुरू हो रही है। थोड़ी देर में बात करना।
समर्थक बाहर से बार-बार प्रत्याशी और अभिकर्ताओं से बातचीत कुछ इसी अंदाज में कर रहे थे। हाल यह था कि मतगणना केंद्र स्थल पर मौजूद प्रत्याशी और उसके अभिकर्ता से बाहर बैठे समर्थक और ग्रामीणों के सीधे तार जुड़े रहे। कोरोना कर्फ्यू का उल्लंघन कर समर्थक मतगणना स्थल तक पहुंचे और चिलचिलाती धूप में तपते भी रहे। अंदर चल रही मतगणना की पल-पल की जानकारी मोबाइल से लेते रहे। किस वार्ड से कितने वोट मिले। प्रधान पद के प्रत्याशियों के समर्थक वार्ड वार समीक्षा भी करते रहे। इसके साथ ही वह यह भी गणित लगाते रहे, उनको प्रत्याशी को किस वार्ड से कितने वोट हासिल हुए। प्रधान पद के प्रत्याशियों के समर्थकों की अंगुलियों पर एक-एक वार्ड के वोट हैं। समर्थकों इस बीच अनुमान का भी दौर चल रहा था। किस वार्ड से कितने वोट मिले। किसने वोट दिए और कौन गच्चा दे गया। जिनके प्रत्याशी जीत गए, वह यह कहते हुए निकले सभी का वोट मिला, लेकिन जो प्रत्याशी हार गए। उनके समर्थक वोट न देने वालों को को लेकर उधेड़बुन में लगे नजर आए। -वहां से तो इतने मिलने थे: जिला पंचायत सदस्य और प्रधानी के चुनाव में प्रत्याशियों ने पानी की तरह पैसा बहाया। मतगणना स्थल पर जमा भीड़ में इसकी चर्चा भी हुई। सभी प्रत्याशियों के पास जीत का अपना आंकड़ा था। मगर, जब मतपेटिका खुली, तो उनका अनुमानित गणित गड़बड़ाने लगा। समर्थकों ने प्रत्याशियों को जो भरोसा दिलाया था, वह भी एक-एक वोट की गिनती के साथ टूटता नजर आया। उनको यही कहते सुना गया, उस गांव और वार्ड से इतने वोट मिलने थे, लेकिन उम्मीद से कम रह गए। मतदाताओं ने उनके साथ दोहरा खेल खेला। वे वोट के उन ठेकेदारों को भी कोसते नजर आए, जिन्होंने अपने मुहल्ले के मतदाताओं के वोट दिलाने का ठेका लिया था।