दर्पण के झूले में भाव के झोटे लेंगे अविचल गिरिराज
तीन से 15 अगस्त तक मुकुट मुखारविद मंदिर में झूलन महोत्सव
रसिक शर्मा, गोवर्धन(मथुरा)। श्रावण मास में ब्रज की छटा निराली हो जाती है। इन दिनों झूलन महोत्सव मनाए जा रहे हैं। प्रभु हिडोले में विराजते हैं, झूला झूलते हैं। अविचल गिरिराज जी के लिए भी झूलन महोत्सव का आयोजन तीन से 15 अगस्त तक किया जा रहा है। इस दौरान उन्हें झूला झुलाने के लिए दर्पण वाले विशेष झूले को सजाया-संवारा जा रहा है। दर्पण के इस झूले में गिरिराज जी को भाव के झोटे दिए जाएंगे।
इस झूले को करीब 16 साल पहले मंदिर के तत्कालीन रिसीवर वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने तैयार कराया था। 60 किलो वजनी चांदी का ये झूला चार पाय(खंभे) पर टिका रहता है। मेहराब और पंख फैलाते मोर की नक्काशी इसे सौंदर्य प्रदान करती है। बीचोबीच विशाल दर्पण लगा है। इस झूले को मुखारविंद मंदिर में गिरिराज जी के विग्रह के समक्ष रखा जाता है। डोरी के जरिए भक्तगण दर्पण को झुलाते हैं, तो दर्पण के प्रतिबिंब में गिरिराजजी झूलते नजर आते हैं और भक्त खुद को धन्य समझते हैं।
सेवायत राजू ठेकेदार के अनुसार, झूला के आसपास सावन जैसा पर्यावरण भी सजाया जाएगा। ऐसा आभास होगा कि आसमान में काली घटाएं छाई हैं, रिमझिम हो रही है, और भव्य झूले में प्रभु विराजमान होकर झोटे ले रहे हैं। पुजारी अर्जुन ने बताया कि झूलन महोत्सव के दौरान प्रभु को स्वर्ण आभूषण धारण कराए जाएंगे। इसमें सोने के दो मुकुट, चार कुंडल तथा बांसुरी और गले में जवाहरात की माला होगी। हर रोज ही घटा के रंग से मेल खाती हुई पोशाक धारण कराई जाएगी। झूला कारीगर श्याम बिहारी सोनी इस विशेष झूले को महोत्सव के लिए सजाने में जुटे हैं । -------
गिरिराजजी साक्षात कृष्ण स्वरूप हैं। श्रावण मास में गिरिराजजी को विशेष झूला में झुलाया जाता है। स्थानीय लोगों ने चांदी के झूला को सोने का बनाने के लिए प्रस्ताव दिया है। यह कब बन पाएगा, गिरिराजजी की मर्जी पर निर्भर है।
- रमाकांत गोस्वामी
रिसीवर, मुकुट मुखारविद मंदिर, गोवर्धन