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नंद द्वारे बाजै बधाई, आज घर लल्ला आयौ है

गोकुल और नंदगाव में मना नंदोत्सव, प्रसाद में लुटाई गई लाला की छीछी

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 11:55 PM (IST)
नंद द्वारे बाजै बधाई, आज घर लल्ला आयौ है
नंद द्वारे बाजै बधाई, आज घर लल्ला आयौ है

जागरण संवाददाता, मथुरा: सोमवार को कान्हा के जन्मोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को गोकुल और नंदगाव में नंदोत्सव मनाया गया। इस उत्सव में प्रसाद के तौर पर लाला की छीछी, खिलौने लुटाए गए। वृंदावन के सप्त देवालयों सहित ब्रज के सभी मंदिरों में भी जय कन्हैया लाल की गूंज होती रही।

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सोमवार को कृष्ण-कन्हैया का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के साथ ही ब्रज के सभी मंदिरों में इस अलौकिक पल के साक्षी बनने को श्रद्धा का अथाह सागर उमड़ा रहा। श्रद्धालुओं का यही हुजूम मंगलवार को नंदोत्सव मनाने के लिए गोकुल और नंदगांव की ओर चल पड़ा। गोकुल में सुबह से ही बधाई गायन होने लगा। दोपहर में नंद किला से बालकृष्ण डोला में सवार होकर नंद बाबा, माता यशोदा और ग्वालों के साथ नंद चौक पहुंचे। यहा से राज चबूतरा पर लाला के डोला को लाया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं को लाला की छीछी बांटा गया। छीछी लेने को श्रद्धालुओं में होड़ मची रही। इस दौरान भक्तिभाव में झूमते श्रद्धालु नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की और हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की के उदघोष करते रहे।

उधर, नंदगांव में भी कृष्ण अवतरण की खुशी छाई रही। योगेश्वर की क्रीड़ास्थली नंदगाव के नंदभवन में मंगलवार सुबह आठ बजे लाला ने दर्शन दिए। सेवायतों ने खिलौने बाटे। दोपहर तक नंदबाबा और बरसाना के गोस्वामियों ने संयुक्त समाज गायन किया। पूरे दिन नंद के आनंद भए, जय कन्हैया लाल की गूंज होती रही। शाम को बरसाना के गोस्वामी नंदगाव नंदबाबा के भवन में लाला के जन्म की बधाई देने के लिए जाएंगे। वृंदावन के सप्त देवालयों सहित ब्रज के सभी मंदिरों में भी नंदोत्सव मनाया गया। कार्यक्रमों की मुख्य बातें

- गोकुल में इस मौके पर प्रसाद के रुप में लाला की छीछी यानी दही और हल्दी का मिश्रण लुटाने का रिवाज है। इसके लिए भक्तों में होड़ रहती है। एक दूसरे को यही प्रसाद लगाया जाता है।

- नंदगाव में कान्हा के लंगोट में दर्शन कराए जाते हैं और मा यशोदा के प्रसूता के तौर पर माथे पर पट्टी बाधी जाती है। नंदगाव और बरसाना वालों के बीच समाज गायन मुख्य आयोजन होता है।


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