डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की योजना धड़ाम
पिछले पांच दिन से नहीं निकलीं गाड़ियां कूड़ा उठाने के लिए, घरों व सड़क पर रखे डस्टबिन में भरा कूड़ा फैला रहा सड़ांध
मथुरा, जासं: नगर निगम में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की योजना दो माह में ही धड़ाम हो गई है। इसका शुभारंभ कराकर निगम के अफसरों ने अपनी पीठ तो खूब ठोकी पर अब कंपनी के कर्मचारियों की मुहल्लों में ठुकाई हो रही है। नतीजा पांच दिन से यह वाहन कूड़ा कलेक्शन के लिए गोदाम से नहीं निकले हैं। कूड़ा न उठने से घर-घर में कूड़े के ढेर सड़ांध फैला रहे हैं तो सड़कों पर डस्टबिन भरकर सड़क पर कूड़ा फैला रहे हैं। निगम के अफसर चैन की बंशी बजा रहे हैं।
नगर निगम ने डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन सहित शहर में रखे बड़े डस्टबिन से कूड़ा उठाने का ठेका एसबीएम कंपनी को दिया था। कंपनी को इसके लिए करीब 30 गाड़ियां, जेसीबी, ट्रैक्टर, लोडर आदि वाहन दिए। कंपनी ने वाहनों के लिए 30 चालक, प्रत्येक गाड़ी पर दो कर्मियों सहित करीब 90 कर्मचारी रखे। ठेका देते समय ही दैनिक जागरण ने आशंका जताई थी कि मुहल्लों में पुस्तैनी सफाई करने वालों के हितों का ध्यान नहीं रखा तो योजना धराशायी हो सकती है। निगम के अफसरों ने आम राय के बिना इसे लागू कर लोगों पर मोटा कर लगाया तो विरोध शुरू हो गया।
ताजा विवाद करीब पांच दिन पूर्व हुआ। मुहल्लों में कूड़ा उठाने के लिए गए कंपनी के वाहनों को निजी सफाईकर्मियों ने रोक दिया। उन्हें चेतावनी दी कि यदि वह कूड़ा उठाने आए तो उनके साथ मारपीट या गाड़ी में तोड़फोड़ के स्वयं जिम्मेदार होंगे। नतीजा चालकों ने चार दिन से वाहन जलकल विभाग से नहीं निकाले हैं। सफाईकर्मियों का कहना है कि कूड़ा कलेक्शन के लिए उसी क्षेत्र के निजी सफाईकर्मी के एक परिवार को कंपनी नौकरी देने के साथ 15 हजार रुपये माहवार वेतन दें, कंपनी इस पर तैयार नहीं है। -डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का जिम्मा प्राइवेट कंपनी पर है। मुहल्ले के सफाईकर्मियों से विवाद के चलते चार दिन से कूड़े का कलेक्शन नहीं हो पा रहा है, जल्द ही समस्या के समाधान की उम्मीद है।
केके शर्मा, चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर