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मित्रता हो तो ऐसी, लौठा ने निभाई कान्हा से प्रीत जैसी

कृष्ण-सुदामा की दोस्ती के किस्से तो खूब सुने होंगे लेकिन लौठा को

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 02:41 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 02:41 AM (IST)
मित्रता हो तो ऐसी, लौठा ने निभाई कान्हा से प्रीत जैसी
मित्रता हो तो ऐसी, लौठा ने निभाई कान्हा से प्रीत जैसी

संवाद सूत्र, गोवर्धन (मथुरा):

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कृष्ण-सुदामा की दोस्ती के किस्से तो खूब सुने होंगे, लेकिन लौठा को कम ही लोग जानते हैं। वे निस्वार्थ मित्रता के ऐसे मोती हैं जिसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलती। कन्हैया की जूठन खाने को ही सौभाग्य समझने वाले लौठा आज भी उनका इंतजार कर रहे हैं। गोवर्धन परिक्रमा में पूंछरी पर पसरे लौठा बाबा का वक्त के नाजुक मोड़ पर साथ देना ही मित्रता के रिश्ते को परिभाषित करता है। धार्मिक इतिहास के पन्ने भी मित्रता से भरे हैं। ऐसे ही श्री कृष्ण के मित्र लौठा बाबा के दर्शन को आज भी हजारों भक्त रोज पहुंचते हैं।

कहते हैं कि लौठा रोजाना कन्हैया के साथ गाय चराने आते थे। वह गाय चराने के अंतिम स्थल पर रहते थे। उसे गोचारण भूमि की पूंछ बोला जाता था, इसलिए उस स्थान का नाम पूंछरी पड़ गया। लौठा बाबा भूख लगने पर सिर्फ कन्हैया का छोड़ा हुआ झूठा भोजन ही करते थे। मथुरा जाते समय कन्हैया दोबारा आने की कहकर गए। मान्यता के अनुसार, लौठा तब से आज तक कन्हैया के आने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने तभी से अन्न जल भी छोड़ रखा है। इसे लेकर ब्रज में कहावत प्रसिद्ध है 'ना कछु खावै, ना कछु पीवै, तऊ कैसौ परौ सिलौंटा, धन्य-धन्य तो कू पूंछरी के लौठा।'

पूंछरी के रहने वाले विजय सिंह चौधरी कहते हैं कि वह रोजाना लौठा बाबा के दर्शन करने जाते हैं। उनका विश्वास है कि लौठा बाबा प्रसन्न होकर कान्हा के दर्शन कराएंगे। दाऊजी मंदिर के महंत विजय बाबा ने बताया कि लौठा बाबा की भक्ति करने से गिरिराजजी की कृपा सहज मिल जाती है।


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