हल के फाल की दिशा बदल गाड़ रहे सफलता के झंडे
देसी का दम खेती में कर रहे न- नए प्रयोग हो रही भरपूर कमाई
जागरण संवाददाता, मथुरा: तकदीर की लकीरों के भरोसे तरक्की के शिखर पर कोई विरला ही पहुंचता है। कर्मशील लोगों ने सदा ही इन्हें अपने फौलादी इरादों से बदलने का करिश्मा किया है। ऐसे ही हैं मांट तहसील क्षेत्र के गांव इनायतगढ़ के किसान तेजपाल सिंह। जब भी उन्होंने अपने हल की फाल की दिशा को बदला, तभी खेती में सफलता के झंडे गाड़े हैं। गेहूं, सरसों, ज्वार बाजरा की खेती छोड़ी और फल, फूल, गन्ना तक भी उगाया। अब उन्होंने जल की रानी पर दांव लगाया है।
वर्ष 1977 में सीड ड्रिल मशीन (बोवाई मशीन) किसानों को सपना हुआ करती थी, उस समय तेजपाल सिंह पंजाब की गलियों में उन्नत खेती फार्मूला जानने को भटक रहे थे। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हैदराबाद के कृषि संस्थानों देहरी भी चढ़े। कृषि विज्ञानियों के बीच खेती से आर्थिक विकास का पाठ सीखा। लीक छोड़ने का जोखिम भी उठाया। वे कहते हैं कि परंपरागत गेहूं, धान, जौ, ज्वार बाजरा की खेती छोड़ी आंवला, फल और गन्ना की खेती से नाता जोड़ लिया। अतिरिक्त आय हुई। डेयरी में खोली, लेकिन कई कारणों से वे असफल हो गए। तगड़ा झटका लगा, पर हिम्मत नहीं हारी। खेती में नए-नए प्रयोग का दौर बरकरार रखा। पिछले साल मछली पालन के लिए खेत में तालाब खोदाई कराई और अब उसमें मछली पाल रहे हैं। किसान तेजपाल सिंह ने तो अकेले ही प्रयोग किए, लेकिन महावन तहसील के गांव मनोहपुरा की पहचान तो सब्जी वाले गांव के रूप में बन गई है। इसी गांव के महेश ने ढाई बीघा जमीन से खेती प्रारंभ की और 22 बीघा जमीन में विभिन्न सब्जियां पैदा कर रहे हैं। वे कहते हैं कि कम खेती से भी सफलता की कहानी गढ़ी जा सकती है। गांव कारब के किसान ओमप्रकाश ने भी खेतीबाड़ी में एक के बाद एक प्रयोग किए। विज्ञानियों की मदद से बीजोत्पादन किया। सब्जियां उगाकर नकद कमाई का जरिया भी बनाया। बाबूगढ़ के किसान चरन सिंह ने जैविक खेती की, पर बाजार नहीं मिलने से वे असफल हो गए। इन किसानों का कहना है कि अभी उन्होंने अपना ब्रांड नहीं बनाया। न इस बारे में कभी सोचा। वर्जन-
छोटे किसानों की तरक्की को सरकार ने नींबू, अमरूद और अनार के बाग लगाने के रास्ते खोल दिए हैं। भूमि की सफाई, गड्ढा खोदाई, सिचाई, गुड़ाई निराई का काम किसान अपने खेत में करेगा, तो पहले उसको इसका पारिश्रमिक नहीं मिलता था, पर अब मिलेगा। उसकी मेहनत का भुगतान राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत किया जाएगा। इसके साथ ही पौधा, खाद और दवा का भी भुगतान मनरेगा से ही होगा। इस तरह से किसानों को इनका बाग लगाने पर कोई निवेश नहीं करना है। 9719910013 और 8445900389 पर संपर्क कर किसान अपना प्रस्ताव भी विभाग को भेज सकते हैं।
-जगदीश प्रसाद, उद्यान अधिकारी किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं संचालित है। कृषि यंत्रों पर छूट दी जा रही है। अनुदान पर बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बस, किसान विज्ञानियों की सलाह के अनुसार खेती करना शुरू कर दें। उनके साथ कृषि आधारित उद्योग भी करने लगे। तो उनकी आय बढ़ जाएगी।
-धुरेंद्र कुमार, उपकृषि निदेशक