सफर में कफन बन गई कोहरे की चादर
एक टक्कर होते ही फिल्मी स्टंट की तरह टकराते रहे पीछे आ रहे वाहनमौतों से कोहराम में गुम हो गई घायलों की चीखे
चंद्रशेखर दीक्षित,मथुरा: साल दर साल हादसे गवाह हैं कि कोहरे की सफेद चादर में यमुना एक्सप्रेस वे हर साल खून से लाल होता रहा है। वीरान और विशालकाय दायरे वाली इस सड़क पर हवा से बातें करते वाहन की एक टक्कर पीछे आ रहे वाहनों की कतारों के लिए जिंदगी का बैरियर बनती रही है। यमुना एक्सप्रेस वे के सीसीटीवी कैमरों में इस फिल्मी अंदाज वाली स्टंटबाजी देख लोग दहल गए थे। टक्कर से परखच्चे उड़े वाहनों में फंसे लोगों पर कोहरे की चादर सफर में कफन बनती रही। और, घायलों की चीख, वो तो मौतों से मचे कोहराम में गुम होती रही।
19 फरवरी 2019 की देर रात की घटना को ही लें। तड़के घने कोहरे में यमुना एक्सप्रेस वे पर फर्राटा भर रही एक एंबुलेंस का चालक विचलित हो गया और एंबुलेंस डिवाइडर पर चढ़कर पलट गई। एंबुलेंस में बैठे आठ लोगों की मौत हो गई। पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले में घायल राजमिस्त्री की मौत हो गई थी, उसके शव को स्वजन बिहार ले जा रहे थे।
ये भी हुए सड़क हादसे
-23 दिसंबर, 2019 को मथुरा-राया मार्ग पर टैंकर ने सामने से आ रहे टैंपो को रौंद दिया। टेंपो सवार राया निवासी दो सगे भाइयों समेत सात लोगों की मौत हो गई थी।
-15 नवंबर, 2020 को हरियाणा के होडल निवासी एक परिवार के सदस्य ईको कार से शेरगढ़ स्थित रिश्तेदारी से लौट रहे थे। रात में कार बेकाबू होकर पुलिया से टकरा गई और रजबहा में गिर गई। हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी।
आंकड़े जो दहलाते हैं
-औसतन हर नौ घंटे में होता है एक सड़क हादसा
-सड़क हादसे में 18 घंटे में एक मौत (कोहरे के दौरान ये आंकड़ा दोगुना हो जाता है)
-वर्ष 2020 में अब तक 539 लोगों की मौत
-जनवरी में मरने वालों की संख्या 55 लाखों का हो जाता है नुकसान
सड़क दुर्घटना में जिंदगी खत्म हो जाती है। घायल लोग कभी-कभी जिंदा लाश बन जाते हैं। गाड़ी तो फिर से फर्राटा भरने लायक नहीं हो पाती। इससे लाखों का नुकसान भी होता है।