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बादल घिरते ही डर जाते दीपपुरम के वाशिदे

बादल घिरते ही डर जाते हैं दीपपुरम के वाशिदेबादल घिरते ही डर जाते हैं दीपपुरम के वाशिदे। उनका भयभीत होना भी स्वभाविक है। वर्षा होते ही कॉलोनी के बीच में होकर के गुजर रहे कच्चा नाला उफन जाता है। पानी घरों में घुस जाता है। सबसे बड़ा खतरा है कि अधिकांश मकानों के ऊपर होकर गुजर रही विद्युत लाइन से बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 09:19 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 06:19 AM (IST)
बादल घिरते ही डर जाते दीपपुरम के वाशिदे
बादल घिरते ही डर जाते दीपपुरम के वाशिदे

जागरण संवाददाता, मथुरा: बादल घिरते ही दीपपुरम के वाशिदे डर जाते हैं। उनका भयभीत होना भी स्वभाविक है। वर्षा होते ही कॉलोनी के बीच में होकर के गुजर रहे कच्चा नाला उफन जाता है। पानी घरों में घुस जाता है। सबसे बड़ा खतरा है कि अधिकांश मकानों के ऊपर होकर गुजर रही विद्युत लाइन से बना हुआ है।

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मथुरा-आगरा मार्ग पर औरंगाबाद से करीब चार सौ और नेशनल हाईवे से करीब छह मीटर की दूरी पर दीपपुरम बसा है। कॉलोनी में अधिकांश पूर्व सैनिक निवास करते हैं। कॉलोनी में अभी सीवर लाइन नहीं डाली गई है। पेयजल को टंकी नहीं है। नगर निगम भी पानी की आपूर्ति नहीं करा पा रहा है। कॉलोनी के बीच से गुजर रहे नाले में जवाहर बाग, धौली प्याऊ, मयूर विहार तक पानी आता है। कच्चा और संकरा होने के कारण नाला पानी झेल नहीं पाता है और उफन जाता है। इससे पानी घरों में प्रवेश कर जाता है। बिजली की लाइन अधिकांश मकानों के ऊपर होकर गुजर रही है। हटवाने को तमाम प्रार्थना पत्र दिए, पर सुनवाई नहीं हुई। गलियां पक्की है, मगर क्षतिग्रस्त पड़ी है। साफ सफाई के लिए भी निगम की टीम नहीं पहुंच रही है। घर से कूड़ा उठाने की गाड़ी कॉलोनी तक नहीं पहुंचती है।


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