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बूंदाबांदी ने बढ़ाई गलन, हाथ पैर होने लगे सुन्न

न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस किया गया दर्ज बर्फीली हवाओं का प्रकोप रहा जारी

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 05:43 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 05:43 AM (IST)
बूंदाबांदी ने बढ़ाई गलन, हाथ पैर होने लगे सुन्न
बूंदाबांदी ने बढ़ाई गलन, हाथ पैर होने लगे सुन्न

जागरण संवाददाता, मथुरा: बूंदाबांदी और बर्फीली हवाओं के कारण शनिवार को जनजीवन कांप उठा। दिनभर छाए रहे बादलों को चीरकर सूर्य की किरणें जमीं को नहीं छू सकीं। गलन से हाथ-पैर सुन्न पड़ने लगे हैं। रात को पारा 2 डिग्री और दिन में 18 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। मौसम के खराब होने से आलू और सरसों की फसल में नुकसान की संभावना बढ़ गई है। हालांकि मौसम गेहूं की फसल के अनुकूल हो गया है।

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फरह के केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मखदूम के तापमापी पर न्यूनतम तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। शुक्रवार रात बढ़कर न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। अधिकतम तापमान दूसरे दिन भी 18 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर बना रहा। सुबह और दोपहर में रुक-रुक बूंदाबांदी होती रही। बर्फीली हवाओं से गलन भी बढ़ गई। सूर्य के दर्शन न होने से दिन भर जनमानस की कंपकंपी छूटती रही। हालात ये हो गए, हाथ-पैर सुन्न पड़ने लग गए। सुबह साढ़े दस बजे तक बाजारों में अधिकांश दुकानें बंद थीं, जबकि चाय-नाश्ता की दुकान पर भीड़ लगी रही। शाम को बाजार जल्दी बंद हो गए। नए साल पर कान्हा के दर्शन करने आए श्रद्धालु खूब नजर आए।

सरकारी दफ्तर खाली-खाली दिखे- सरकारी कार्यालयों में इक्का-दुक्का बाबू अपने पटल पर कामकाज करते नजर आए। कार्यालयों में कामकाज की गति सामान्य दिनों के मुकाबले आज सुस्त रही। गांव देहात से इक्का दुक्का फरियादी अपनी फरियाद लेकर डीएम और एसएसपी कार्यालय पहुंचे।

उपकृषि निदेशक धुरेंद्र कुमार ने बताया, बादल छाने से आलू की फसल में अगेती झुलसा आने की संभावना है। सरसों की फसल में माहू कीट आ सकता है। गेहूं के लिए यह बारिश फायदेमंद है। वायुमंडल में घुलित नाइट्रोजन पौधों को मिल गई। उनका कहना है, 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से किसानों को गेहूं की फसल में यूरिया की टाप ड्रेसिग कर देनी चाहिए। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी योगेंद्र पंवार ने बताया, ठंड से पशु भी प्रभावित हो रहे हैं। धूप निकलने पर ही पशुओं को खुले में निकाले और रात को पशुओं के बंद स्थान पर रखें। इधर, ठंड बेसहारा पशुओं की जान पर बन आई है। वह झुंड बनाकर एक-दूसरे से सटकर बैठ रहे हैं। मौसम खराब होने से पक्षी भी अपने घोंसलों में दुबके रहे।


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