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वृक्षों के मित्र भी थे देवराह बाबा, पुण्यतिथि आज

वर्ष 1989 में राजीव गांधी के आगमन को नहीं काटने दिया था पेड़ बाबा का चमत्कार था तत्कालीन पीएम का कार्यक्रम निरस्त होना

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 12:22 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 06:24 AM (IST)
वृक्षों के मित्र भी थे देवराह बाबा, पुण्यतिथि आज
वृक्षों के मित्र भी थे देवराह बाबा, पुण्यतिथि आज

वृंदावन, जासं। वृंदावन के प्राकृतिक सौंदर्य की छटा में ही संतों ने यहां अपनी साधना स्थली बनाई। वक्त गुजरने के साथ ही जब इसका नगरीयकरण होने लगा तो संतों ने कुछ कायदे कानून भी बनाए। इसके मुताबिक, जो भी संत यहां साधना करेगा, वह पौधा अवश्य रोपेगा। वृक्षों को लेकर उनका प्रेम यहीं तक सीमित नहीं रहा। इससे आगे बढ़कर संतों ने वृक्षों को अपना मित्र बनाया। ऐसे ही संत थे ब्रह्मर्षि देवराह बाबा।

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यमुना के किनारे काठ की बनी मचान पर आजीवन भजन, ध्यान करने वाले देवराह बाबा पेड़-पौधो के मित्र भी थे। बात वर्ष 1989 की है। लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को मथुरा में चुनावी सभा संबोधित करनी थी और इसी बीच उन्हें बाबा से आशीर्वाद लेने उनके आश्रम आना था। राजीव के लिए मचान के पास हेलीपैड बनाने का काम शुरू किया गया। यहां एक वृक्ष था, जिसे काटने के लिए कहा गया।

बताते हैं कि हैलीपेड के लिए बबूल के इस पेड़ को काटने की सुनकर बाबा क्रोधित हो गए और अफसरों से बोले- तुम यहां अपने पीएम को लाने की सोच रहे हैं, अब वह नहीं आएंगे। क्योंकि पीएम के लिए एक पेड़ नहीं काटा जा सकता है। जब पेड़ अपने कटने के संबंध मुझसे पूछेगा तो क्या जबाव दूंगा? यह तुम्हारे लिए एक पेड़ हो सकता है, मगर यह मेरा सबसे पुराना साथी है, वो हमसे बात करते हैं। बाबा के तेवर देख अफसर परेशान हो गए।

अफसरों की दुविधा देख बाबा ने उनसे कहा कि अब प्रधानमंत्री यहां नहीं आएंगे। और हुआ भी यही। अगले ही दो घंटे बाद रेडियोग्राम आया कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम टल गया है। अब वह देवराह बाबा के आश्रम नहीं आ रहे हैं। हालांकि काफी दिनों के बाद राजीव गांधी बाबा के दर्शन करने के लिए आए थे।

देवराह बाबा अपने चमत्कार से हजारों लोगों को तृप्त करते रहे। उनके आशीर्वाद को आतुर सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि कई विशिष्ट लोग भी थे। उनके भक्तों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन जैसी महान विभूतियां रही हैं।

आयु को लेकर कयास

कुछ लोग देवरहा बाबा का जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं। 19 जून, 1990 को योगिनी एकादशी के दिन महाप्रयाण करने वाले बाबा के जन्म के बारे में अब तक संशय है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि वह करीब 900 साल तक जिंदा रहे थे। -बाबा ने कहा वृक्ष की टहनी कटी तो मेरे से करेगा सवाल

उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष एवं जनपद के तत्कालीन एसपी रहे शैलजाकांत मिश्र कहते हैं 3 अक्टूबर 89 को पूर्व पीएम राजीव गांधी को आना था। उससे पहले बने हेलीपैड पर ट्रायल लेंडिग में पायलटों ने आश्रम के समीप वृक्ष की टहनी काटने की सलाह दी थी। इस बात को सुनते ही बाबा ने उनसे सवाल किया कि वृक्ष अगर दिक्कत देता है तो क्या हुआ। वृक्ष की टहनी कटी तो उसे दुख होगा और वह मेरे से सवाल करेगा। तुम्हें पीएम की वाहवाही मिलेगी और वृक्ष मुझसे शिकायत करेगा। बाबा का चमत्कार ही था कि पीएम का उस समय आना स्थगित हो गया। इसके बाद पीएम गांधी 11 नवंबर को दर्शन करने आश्रम पहुंचे तो उन्होंने हेलीपैड ही दूसरी जगह बनवा दिया था।


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