पोस्टमार्टम हाउस पर शव रख बैठे रहे परिजन
जागरण संवाददाता, मथुरा: मशहूर व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी का उपन्यास है 'नरक यात्रा'। जिस किस
जागरण संवाददाता, मथुरा: मशहूर व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी का उपन्यास है 'नरक यात्रा'। जिस किसी ने उसे नहीं पढ़ा, वह इसका साक्षात्कार मथुरा के पोस्टमार्टम हाउस में कर सकता है। मृतक के परिजनों को तमाम पेपर तैयार कराने के बाद भी शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए घंटों डॉक्टर की राह तकनी पड़ी। डॉक्टर तय समय से घंटों बाद दो बजे ही यहां आ रहे हैं। सोमवार को ऐसे ही मामले में पार्षद की दो बजे पहुंचे डॉक्टर से तीखी बहस हुई।
ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास का कथानक पोस्टमार्टम के लिए शव लेकर आए गरीब परिवार के इर्द-गिर्द बुना गया है। गरीब परिवार पैसे देने के बाद भी घंटों पीएम के लिए डॉक्टर का इंतजार करता रहता है और डॉक्टर दिनभर अस्पताल की सस्ती राजनीति के मजे लेते शाम पोस्टमार्टम हाउस पहुंचते हैं। कुछ यही हाल मथुरा के पोस्टमार्टम हाउस का है। नियमानुसार यहां सुबह आठ से शाम आठ बजे तक एक डॉक्टर की तैनाती रहती है। इस अवधि में सभी जरूरी कागजात लेकर आने वाले का तत्काल पीएम करना होता है। इस अवधि के बाद आने वाले को डीएम से विशेष अनुमति लेनी होती है। पीएम पर तैनात होने वाले डॉक्टरों का शेड्यूल सीएमओ आफिस तैयार करता है, जिसे पीएम हाउस भेजा जाता है। छह महीने तक इसकी सूचना पीएम हाउस के कर्मचारी को दी जाती रही, लेकिन अब यह प्रक्रिया भी बंद है। डॉक्टर भी आमतौर पर दोपहर बाद ही आ रहे हैं। ऐसे में रसूखदारों के मिलने वालों के शवों का पोस्टमार्टम भले ही समय से हो जाए, लेकिन आम आदमी को तो पोस्टमार्टम के लिए नरक की यात्रा भोगनी पड़ती है।
धौली-प्याऊ निवासी 45 वर्षीय ललित मोहन तिवारी की रविवार रात चंद्रपुरी के पास सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। शव सुबह पीएम हाउस पहुंचा और करीब 11.30 बजे तक पुलिस की कागजी कार्रवाई पूरी कर ली गई। दोपहर 12 बजे तक डॉक्टर नहीं पहुंचे पर साथ आए लोगों ने डॉक्टर का नंबर हासिल कर फोन करना शुरू किया। डॉक्टर लगातार पहुंचने का आश्वासन देते रहे। मृतक के साथ आए लोगों का तनाव लगातार बढ़ता जा रहा था। करीब पौने दो बजे डॉ. एके आनंद पीएम हाउस पहुंचे, तो वार्ड 61 धौली-प्याऊ के सभासद उमेश भारद्वाज और समर्थकों की डॉक्टर से नोकझोंक शुरू हो गई। सभासद डॉक्टर पर बिफर गए और देरी से आने का कारण जानना चाहते थे। इस पर डॉक्टर ने कभी पत्नी के बीमार होने की बात कही, तो कभी खाना खाने की। इस पर लोगों ने डॉक्टर पर सवाल खड़े किए कि पत्नी बीमार थी, तो सीएमओ से कहकर दूसरे डॉक्टर की ड्यूटी लगवाने को कहना था, डॉक्टर पर जब जवाब नहीं बना, तो पोस्टमार्टम रूम में चले गए। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया।
डॉ. एके आनंद ने बताया कि दोपहर 12 बजे तक शवों के कागज तैयार नहीं हुए थे। साढ़े बारह बजे के करीब कागज तैयार होने का फोन आया था। करीब सवा बजे वह पोस्टमार्टम गृह पहुंच गए थे। 40-50 मिनट वह किसी कार्य के कारण देरी से पहुंचे थे। सुबह वृंदावन में मरीज भी देखे थे।
सुबह आठ बजे से होती है ड्यूटी
एसीएमओ डॉ. राजीव गुप्ता के अनुसार पोस्टमार्टम हाउस पर डॉक्टर की ड्यूटी 24 घंटे रहती है। सामान्यत: सुबह आठ से रात आठ बजे तक डॉक्टर ड्यूटी पर रहते हैं और शव आने पर पोस्टमार्टम करना चाहिए। यदि किसी कारण डॉक्टर पोस्टमार्टम गृह पर नहीं हैं, तो फार्मासिस्ट की ड्यूटी होती है कि वह डॉक्टर को बुलाए। डॉक्टर को तुरंत पहुंचना चाहिए।
पहले रहती थी डॉक्टरों की सूची
करीब सात-आठ माह पहले तक पोस्टमार्टम संचालित करने वाली संस्था पर भी पीएम हाउस पर ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों की सूची रहती थी, ताकि जरूरत पड़ने पर पीड़ित डॉक्टर से संपर्क कर बुला सके, लेकिन अब सूची भी नहीं भेजी जाती है।