बेसहारा गोवंश को मिलेगी घास, सिल्वी पाश्चर माडल बनेगा मिसाल
सामुदायिक भूमि पर माडल किया जाएगा विकसित मनरेगा के तहत किया जाएगा खर्च स्थान होंगे चिह्नित
जासं, मथुरा: ब्रज में बेसहारा गोवंश भूखे घूम रहे हैं। न रहने को ठिकाना है और न खाने को हरी घास। किसान भी चारे की कमी से जूझ रहे हैं। इससे निपटने को शासन ने वन विभाग को सिल्वी पाश्चर माडल तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसमें पौधारोपण इस तरह किया जाएगा, जहां गोवंश को घास के साथ ठहरने के लिए छांव भी मिलेगी। वन विभाग इसके लिए सामुदायिक स्थल चिह्नित करेगा।
कान्हा की नगरी में करीब एक लाख बेसहारा गोवंश हैं। इनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था को वन विभाग सामुदायिक भूमि के चारों ओर पौधारोपण करेगा। यहां पशुओं के लिए बेहतर घास भी होगी। घास और पौधों को कोई नुकसान से बचाने के लिए मनरेगा के तहत बायोफेंसिग कराई जाएगी। विकास खंड में कम से कम एक स्थान इस तरह से तैयार किया जाएगा। इसके लिए सामुदायिक भूमि की तलाश की जाएगी।
यह होता है सिल्वी पाश्चर माडल :
सिल्वी पाश्चर माडल एकीकृत कृषि प्रणाली का ही हिस्सा है। इसमें छोटे स्थान पर कई तरह की फसल या फिर दूसरे कार्य किए जाते हैं। वन विभाग को पौधारोपण करना है। साथ ही, घास को काटने के बजाए बेसहारा पशुओं के लिए सुरक्षित करना है। घास और पौधारोपण जलवायु के मुताबिक ही किया जाएगा।
- यह होती है सामुदायिक भूमि:
सामुदायिक भूमि सरकार या स्थानीय समुदाय के अधीन होती है। पंचायती भूमि, सामूहिक चारागाह, सड़क, नहर या रेलवे के किनारे की भूमि इस श्रेणी में आती हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि शिक्षण संस्थान को भी इस तरह से पौधारोपण कराए जाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। - वर्जन -
शासन की मंशा है कि सामुदायिक भूमि पर सिल्वी पाश्चर माडल की तर्ज पर पौधारोपण किया जाए। इससे पशुओं को चरने के लिए चारागाह उपलब्ध हो सके। भूमि पर मनरेगा के तहत खर्चा किया जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष में जमीन चिन्हित कर माडल तैयार कराया जाएगा।
- रजनीकांत मित्तल, डीएफओ