जो जीवै सौ खेले फाग, ढप धर दे यार गई परकी
जो जीवैगो सो खेलेगौ फाग. ढप धर दै यार गई परकी के पद के साथ मंगलवार को लाड़िली जी के धाम का फाग महोत्सव का समापन हो गया। इससे पहले बृषभान नंदनी ने अपने गर्भगृह से बाहर निकलकर मंदिर परिसर में बनें संगमरमर की सफेद छतरी में विराजमान होकर अपने भक्तों पर अपनी कृपा के रंग बरसाया।
बरसाना: जो जीवैगो सो खेलेगौ फाग. ढप धर दै यार गई परकी के पद के साथ मंगलवार को लाडिली जी के धाम का फाग महोत्सव का समापन हो गया। इससे पहले बृषभानु नंदनी ने अपने गर्भगृह से बाहर निकलकर मंदिर परिसर में बनें संगमरमर की सफेद छतरी में विराजमान होकर अपने भक्तों पर अपनी कृपा के रंग बरसाए।
वसंत पंचमी से शुरु होने वाले होली के धमाल का समापन मंगलवार को जो जीवैगो सो खेलेगौ फाग, ढप धर दै यार गई परकी के पद के साथ हुआ। पद के अनुसार, समाज गायन में उपयोग आने वाली ढप का वर्णन है जिसमें यह भाव है कि ढप को अब सुरक्षित धर दे, जो अगली साल तक जीवित रहेगा वो इस ढप को बजाएगा। बरसाना में होने वाली प्रसिद्ध लठामार होली तथा फाग महोत्सव का शुभारम्भ वसंत पंचमी के दिन से लाडलीजी मंदिर में ध्वज रूपी डाढ़ा गाढ़कर किया जाता है। फाग महोत्सव के आनंद के रंग में श्रद्धालु बड़े भाव से राधाकृष्ण की लीलाओं का आनंद लेते है। मंगलवार को गोस्वामी समाज के लोगो ने मंदिर परिसर में फाग महोत्सव का अंतिम पद का गायन किया। होली के धमार का समापन कर, ढप, मृदंग, झांझ आदि को अगली साल के लिए उठाकर रख दिए है। शाम पांच बजे बृषभानु नंदनी के डोला को सेवायत कंधों पर उठाकर नीचे स्थित संगमरमर की सफेद छतरी में विराजमान किया। होली महोत्सव के अंतिम दिन राधाकृष्ण के युगल जोड़ी के दर्शन कर श्रद्धालु अपने आपको कृतार्थ मान रहे थे। बृषभानु नंदनी भी अपने भक्तों पर कृपा का सागर उडे़ल रही थी। मान्यता है कि पुराने समय में हर वर्ग के लोग मंदिर में प्रवेश नहीं करते थे, इसीलिए साल में तीन बार राधाष्टमी, हरियाली तीज, धुल्हेड़ी के पर्व के दौरान बृषभान नंदनी हर वर्ग के लोगो को दर्शन देने के लिए सफेद छतरी में आती है। शाम सात बजे लाडली जी के डोले को वापस मंदिर ले जाया गया। गोस्वामी समाज की कुंवारी कन्या द्वारा आरती की गई। श्यामा प्यारी के नजदीक से दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बेताब नजर आ रहे थे, पूरा मंदिर परिसर राधाकृष्ण के जयघोष से गूंजायमान हो रहा था। गोस्वामी समाज के मुखिया रामभरोसी गोस्वामी, प्रवीन गोस्वामी, अमित गोस्वामी, लीलाधर गोस्वामी, श्याम गोस्वामी, संजय गोस्वामी, मुकेश गोस्वामी, रसिक गोस्वामी, उमाशंकर गोस्वामी, जगन्नाथ शास्त्री, कृष्ण पीयूष गोस्वामी, ध्रुवा गोस्वामी मौजूद थे।