रामनवमीः..... जब बंशी वाले के हाथों में सज गया धनुष-बाण
वृंदावन में धनुष-बाण लेकर दर्शन देने वाले श्रीकृष्ण का प्रसंग आज रामनवमी पर द्वारिकाधीश मंदिर में दोहराया गया।
मथुरा (जेएनएन)। वृंदावन प्रवास के दौरान तुलसी दास की जिज्ञासा पर ज्ञानगुदड़ी में धनुष-बाण लेकर दर्शन देने वाले श्रीकृष्ण का प्रसंग आज रामनवमी पर द्वारिकाधीश मंदिर में दोहराया गया। यहां इस अवसर पर हुए विशेष आयोजन में द्वारिकाधीश ने श्रीराम के स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन दिए। मंदिर में सुबह से ही नौबत बजने लगी, जो देर रात्रि आठवीं झांकी तक जारी रही। रविवार को प्रात: 6 बजे से 6.15 बजे तक मंगला के दर्शन भारी तादाद में भक्तों ने किए। 6.30 बजे भगवान का पंचामृत अभिषेक हुआ। आठ बजे ठाकुर जी का भगवान राम के स्वरूप में श्रंगार किया गया। उनके हाथों में धनुष-बाण सजाए गए। जन्म के दर्शन प्रात: 10 बजे तथा उसके बाद राजभोग के दर्शन हुए।
मंदिर के समय में परिवर्तन
द्वारिकाधीश मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी के अनुसार ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए अब उत्थापन के दर्शन शाम 4 से 4.20 बजे तक, भोग के दर्शन 4.55 से 05.10 बजे तक, संध्या आरती 5.20 बजे से 5.40 बजे तक तथा शयन के दर्शन शाम 6.30 बजे से 7.30 बजे तक होंगे। सुबह के दर्शनों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
इस्कॉन मंदिर में संकीर्तन
इस्कॉन मंदिर आज में हरिनाम संकीर्तन की गूंज सुनाई दी। करीब डेढ़ सौ देशों के प्रतिनिधि कृष्ण भक्त धार्मिक आयोजन में शामिल हुए। सुबह सेवायतों ने ठाकुरजी का पंचगव्य से महाभिषेक और महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस्कॉन संस्थापक श्रील प्रभुपाद ने वृंदावन में इस्कॉन मंदिर स्थापना 1975 में रामनवमी के दिन ही की थी। रामनवमी पर हर साल इस्कॉन स्थापना दिवस मनाया जाता है। आज महोत्सव के दूसरे दिन सुबह मंगला आरती से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। दर्शन के बाद ढोल, मृदंग और मंजीरा की धुन पर विदेशी भक्तों ने नाम संकीर्तन की धुन छेड़ी तो हर कोई नाचता दिखाई दिया। सुबह दस बजे ठाकुरजी का महाभिषेक हुआ, ठाकुरजी का विशेष फूलों से श्रृंगार किया गया। मंदिर में पूरे दिन धार्मिक आयोजन हुए।