ठंड भी न डिगा पाई आस्था, उमड़ पड़ा सैलाब
यम द्वितीया पर यमुना स्नान को पहुंचे लाखों लोग, यम फांस से मुक्ति को भाई-बहन ने साथ लगाई डुबकी
जासं, मथुरा: रात का अंतिम पहर, तड़के तीन बजे। हवा सर्द और मौसम ठंडा। हल्की धुंध भी छाई रही। उसके बावजूद आस्था ठिठक नहीं रही थी। कंपकंपी छूटती रही और लोग यमुना में स्नान करते रहे। भाई दौज पर श्रद्धा का सैलाब दिनभर उमड़ता रहा। यम फांस से मुक्ति को दूरदराज से आए भाई-बहनों ने हाथ पकड़ एक साथ पतित पावनी में डुबकी लगाई।
शुक्रवार को यम द्वितीया के मौके पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था के गोते लगाए। कोने-कोने से आए लाखों लोग इस अदभुत पल के साक्षी बने। हालांकि गुरुवार रात 12 बजे से स्नान होना शुरू हो गया था, लेकिन रात तीन बजे की आरती के साथ यह और भव्य हो गया। इसके बाद तो भीड़ लगातार बढ़ती गई। पुलिस प्रशासन की कड़ी चौकसी के बीच स्नान के साथ यमुना मैया के जयकारे लग रहे थे। सभी घाटों पर काफी भीड़ थी, लेकिन सबसे ज्यादा उत्साह विश्राम घाट पर देखने को मिला। सर्द मौसम में एक बार को लोग थोड़े बेचैन भी हुए, लेकिन सवाल यम की फांस से मुक्ति की कामना का था, इसलिए भगवान का नाम लिया और डुबकी लगा दी। भाई-बहन एक दूसरे का हाथ पकड़कर डुबकी लगा रहे थे। स्नान के बाद बहनों ने भाइयों को तिलक किया। इसके बाद लोगों ने धर्मराज और यमुना मां के मंदिर में दर्शन किए और पूजन किया। जमदेवी के मजबूत इरादे:
स्नान को आने वाले श्रद्धालुओं के मजबूत इरादे देखने लायक थे। उम्र के आखिरी पड़ाव पर व्हीलचेयर पर आईं लगभग 100 वर्ष की जमदेवी को देखकर तो यही लग रहा था। आगरा निवासी जमदेवी अपने 60 वर्षीय भाई रामनरेश के साथ आई थीं। सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम:
इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम देखने को मिले। गोताखारों की टीम अलग से तैनात थी। स्टीमर और छतों से पुलिसकर्मी लगातार चौकसी कर रहे थे। खोया-पाया केंद्र भी बनाया गया था। मेरा पहली बार यहां आना हुआ है। पहले यहां के बारे में सुन रखा था, इसलिए बहुत मन करता था। मैंने भाई के साथ यमुना में डुबकी लगाई।
साक्षी, लखनऊ इस खास मौके पर भाई-बहन का यमुना में एक साथ स्नान करना बेहद सौभाग्य की बात है। यह पल हमेशा याद रहने वाला है।
छवि खंडेलवाल, रायपुर कभी सोचा नहीं था कि ऐसा मौका मिल पाएगा। यहां का दृश्य विहंगम था। सुबह जल्द ही बहन के साथ डुबकी लगाई।
जयप्रकाश, उड़ीसा यहां आने के लिए काफी समय से योजना बन रही थी, ईश्वर का बुलावा आते ही यहां आने का मौका भी प्राप्त हो गया।
संदीप, लखनऊ