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पहली बार दिन में ¨हडोले पर झूले बांकेबिहारी

अद्भुत स्वर्ण-रजत ¨हडोला में जमकर झूले बांकेबिहारी, विलक्षण पल का साक्षी बनने उमड़ा भक्तों का हुजूम

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 11:43 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 11:43 PM (IST)
पहली बार दिन में ¨हडोले पर झूले बांकेबिहारी

जागरण संवाददाता, वृंदावन: ठा. बांकेबिहारी मंदिर के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा। मंदिर के इतिहास में पहली बार बांकेबिहारी हरियाली तीज पर दिन में स्वर्ण-रजत ¨हडोले पर झूले। इस अद्भुत, आकर्षक घड़ी को नयनों में बसाने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। इससे पहले हरियाली तीज पर शयनभोग में ही यह परंपरा निभाई जाती रही है।

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स्वर्ण-रजत ¨हडोला, दूधिया रोशनी के बीच स्वर्ण-रजत ¨हडोले में विराजमान ठा. बांकेबिहारी जी महाराज के अलभ्य दर्शन, सजल मेघ कांति लिए चमकते नुकीले नयन। नयनों में गहराई और चमक ऐसी कि सागर भी समा जाए और आकाश भी। जो सामने आया, इनका हो गया, इनमें डूब गया। हरे रंग की चांदी के बूटों से जड़ित पोशाक धारण कर विलक्षण श्रृंगार, कसी हुई हरियाली पाग मोतियों से जड़ी, ऊपर टिपारा, सिरपेच, तुर्रा और कलंगी, सब कुछ अद्भुत। हीरे और जवाहरात की चमक, मानो स्वयं कांति ने खुद को न्यौछावर करने की ठानी हो। कानों में कुंडल और मुरली की मुद्रा चित्त को आनंदित कर रही थी। वक्षस्थल पर झूलते हुए पुष्पाहार, पीछे इकलाई में सिमटी हुई प्रियाजी। दोनों की अद्भुत जोड़ी को अपलक देखते निकट बैठे स्वामी हरिदास जी महाराज। हाथ में तानपूरे की लय ही संगीत दिखायी दी। भक्तों ने भी प्रेम और आस्था के इस समंदर में ठाकुरजी को झोटे देकर जमकर झुलाया।

मंगलवार की सुबह से ठीक 7.45 बजे जैसे ही मंदिर के पट खुले भक्तों की समुद्र जैसी लहरे उठने लगीं। दोपहर राजभोग आरती के बाद 2 बजे मंदिर के पट बंद हुए तो शाम 5 बजे एकबार फिर अद्भुत श्रृंगार कर ¨हडोले में विराजमान ठा. बांकेबिहारी ने भक्तों को दर्शन दिए, जो रात 11 बजे तक अनवरत रूप से चलते रहे और चलता रहा भक्तों का हुजूम अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए।

सुखसेज पर किया विश्राम:

आराध्य ठा. बांकेबिहारी महाराज करीब 12 घंटे दर्शन देने के बाद रात में विश्राम सुखसेज पर किया। मंदिर सेवायत आचार्य गोपी गोस्वामी ने बताया कि जब बिहारीजी झूले में दर्शन देने के बाद थक जाते हैं तो उन्हें विश्राम के लिए सुखसेज पर ले जाया जाता है। जहां पान की बीड़ा, रजत कलश में जल, रजत कंघी, आदमकद रजत आइने एवं लड्डू आदि सेज के समीप रखे जाते है।

-यहां भी आराध्य झूले ¨हडोले में

हरियाली तीज पर ठा. राधासनेहबिहारी मंदिर, राधादामोदर मंदिर, राधारमण मंदिर, ठा. राधाबिहारी महाराज, लालाबाबू मंदिर, रासबिहारी निकुंजबिहारी मंदिर समेत अनेक देवालयों में ¨हडोले में विराजमान होकर ठाकुरजी ने भक्तों को दर्शन दिये।

भंडारे, प्याऊ व लगाये शिविर:

धार्मिक नगरी के समाजसेवी संगठनों ने शहर के अनेक इलाकों में भंडारे आयोजित कर प्रसाद वितरित किया। शीतल जल की सेवा की। वहीं बिहारीजी पुलिस चौकी के ऊपर खोयापाया शिविर लगाकर श्री वृंदावन विकास समिति ने परिवार से बिछुड़े सैकड़ों श्रद्धालुओं को मिलवाया। स्वयंसेवकों ने पुलिस संग संभाली व्यवस्था:

बांकेबिहारी मंदिर में हरियाली तीज पर आए श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुलिस फोर्स के साथ आरएसएस के स्वयंसेवकों ने भी व्यवस्था संभाली। मंदिर चबूतरे से लेकर विद्यापीठ चौराहा और वीआइपी पार्किंग तक जगह जगत स्वयंसेवकों को श्रद्धालुओं की सहायता करते देखा गया। बेरीवाला परिवार की महिलाओं ने सजाया ¨हडोला:

ठा. बांकेबिहारी को स्वर्ण-रजत ¨हडोला समर्पित करने वाले हरगुलाल बेरीवाला परिवार ही आज तक इसका संरक्षक भी है। हरियाली तीज पर जब मंदिर में ¨हडोला सजाया गया तो बेरीवाला परिवार की महिलाओं ने इसको सजाने में जमकर मेहनत की।


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